गीता वाहिनी सूत्र - २४ || Geetha Vahini - 24 || Sri Sathya Sai Baba || मुक्ति का सीधा मार्ग
मुक्ति का सीधा मार्ग ( Direct road to Liberation)
मुक्ति के लिए ज्ञान सीधा मार्ग है। इसलिए इसकी पवित्रता अतुलनीय घोषित की है। इससे यह स्वाभाविक सिद्ध होता है की अज्ञान ही यथार्थ में अत्यंत घृणित है। "सर्वव्यापक को विशिष्ट में देखो, विशिष्ट को सर्वव्यापक में;" यह ज्ञान का निष्कर्ष है, कृष्ण ने कहा, "सब क्षेत्र केवल एक क्षेत्रज्ञ को जानते हैं और वह कौन है ? आत्मा, अर्थात तुम, स्वयं तुम ! यह जान लेने से तुम ज्ञानी बन जाओगे, इसलिए समझ लो कि आत्मा परमात्मा है ; यह विज्ञान है।" कृष्ण जो कि सर्वज्ञ थे, अर्जुन के मन से अब संदेह हटा देने के लिए उसे योग की शिक्षा देने लगे।
श्री सत्य साई बाबा
गीता वाहिनी अध्याय ६ पृष्ठ ५६
For achieving liberation, wisdom is the direct road. Hence, it is declared to be incomparably sacred. Naturally, it follows that ignorance is indubitably the most despicable. “See the universal in the particular; see the particular in the universal; that is the essence of wisdom”, said Krishna. “All bodies know only one single knower of the bodies. And who is that? The Atma —you yourself, your own self! Know this and you become a wise person.
So realize that the self is the highest Atma (Paramatma); that is the highest spiritual wisdom.” Krishna, who is All-knowing, began to teach Arjuna this yoga, in order to cast off all doubt from Arjuna’s mind.
Sri Sathya Sai Baba
Geetha Vahini, Chapter 6.
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