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श्री सत्य साई अष्टोत्तरशत नामावली | Sri Sathya Sai Ashtottar Shatanaamaavali

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    श्री सत्य साई अष्टोत्तर शतनामावली १-ॐ श्री साई भगवान श्री सत्य साईं बाबाय नमः २- ॐ श्री साई सत्य स्वरूपाय नमः ३- ॐ श्री साई सत्य धर्म परायणाय नमः ४- ॐ श्री साई वरदाय नमः ५- ॐ श्री साई सत्पुरूषाय नमः ६- ॐ श्री साई सत्य गुणात्मने नमः ७- ॐ श्री साई साधु वर्धनाय नमः ८- ॐ श्री साई साधुजन पोषणाय नमः ९- ॐ श्री साई सर्वज्ञाय नमः १०- ॐ श्री साई सर्वजन प्रियाय नमः ११- ॐ श्री साई सर्वशक्ति मूर्तये नमः १२- ॐ श्री साई सर्वेशाय नमः १३- ॐ श्री साई सर्व संग परित्यागिने नमः १४- ॐ श्री साई सर्वांतर्यामिने नमः १५- ॐ श्री साई महिमात्मने नमः १६- ॐ श्री साई महेश्वर स्वरूपाय नमः १७- ॐ श्री साई पर्तिग्रामोद्भवाय नमः १८- ॐ श्री साई पर्तिक्षेत्र निवासिने नमः १९- ॐ श्री साई यशःकाय शिरडी वासिने नमः २०- ॐ श्री साई जोडि आदिपल्ली सोमप्पाय नमः २१- ॐ श्री साई भारद्वाज ऋषि गोत्राय नमः २२- ॐ श्री साई भक्त वत्सलाय नमः २३- ॐ श्री साई अपान्तरात्मने नमः २४- ॐ श्री साई अवतार मूर्तये नमः २५- ॐ श्री साई सर्वभय निवारिणे नमः २६- ॐ श्री साई आपस्तंब सूत्राय नमः २७- ॐ श्री साई अभय प्रदाय नमः

शिरडी साई बाबा का जन्म एवं जीवन | Birth & Life of Shirdi Sai Baba

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 ॐ श्री साई राम। शिरडी साई बाबा के जन्म और उनके प्रारंभिक जीवन के बारे में अधिकांश भक्तों को ज्ञात नहीं है।श्री सत्य साई बाबा ने अपने प्रवचनों में शिरडी साई बाबा के जीवन के विषय में बताया है।इसे कुछ भागों के द्वारा जन-2 तक पहुँचाने का प्रयास किया गया है।कृपया इसे पढ़ें और अधिक से अधिक शेयर करें। भगवान श्री सत्य साई बाबा के अनुसार शिरडी साई बाबा का जन्म 28 सितम्बर 1835 को पथरी गाँव में गंगाभव और देवगिरि अम्मा के यहाँ हुआ । शिरडी साई बाबा का आगमन    भाग-1 श्रीमती देवगिरि अम्मा को एक दुर्लभ वरदान देते हुए महादेव ने कहा " अम्मा । मैँ यहाँ पर तुम्हारी परीक्षा लेने आया था और देवी पार्वती ने तुम्हारी प्रार्थना को सुन लिया है । हम दोनों तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हैं। मैं तुम्हें वचन देता हूँ कि मैं तुम्हारे दूसरे पुत्र के रूप में जन्म लूँगा।" जैसे ही भगवान शिव ने इतना कहा था कि वे दोनों अंतर्ध्यान हो गए। शिरडी साई की लीलाओं को अब तक सारा संसार जान चुका है । उनके जन्म को लेकर अनेकों प्रश्न उठे है । कौन उनके माता-पिता थे या शिरडी में वे कहाँ से आये थे आदि आदि

Sri Rudram -14| Namakam- 11|with meaning in Hindi | श्रीरुद्रम्- १४| नमकम् |अनुवाक- ११| हिंदी अर्थ

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वेदमंत्र एवम् अर्थ-19     🙏श्रीरुद्रम्-14🙏        अनुवाक-11 सहस्राणि सहस्रशो ये रुद्रा अधि भूम्याम्। तेषागं सहस्रयोजनेऽवधन्वानि तन्मसि। अस्मिन्महत्यर्णवेऽन्तरिक्षे भवा अधि। नीलग्रीवा: शितिकण्ठा: शर्वा अधः,क्षमाचरा: । नीलग्रीवा: शितिकण्ठा दिवगं रुद्रा उपश्रिता: । ये वृक्षेषु सस्पिञ्जरा नीलग्रीवा विलोहिता: । ये भूतानामधिपतयो विशिखास: कपर्दिन: । ये अन्नेषु विविध्यन्ति पात्रेषु पिबतो जनान्। ये पथां पंथिरक्षय ऐलबृदा यव्युध: । ये तीर्थानि प्रचरन्ति सृकावन्तो निषङ्गिण: ।। ६६ ।। जो असंख्य हजारों प्राणियों को रुलाने😪 वाले रुद्र भूमि के उपर स्थित हैं, उनके धनुषों को हम हजारों योजन तक दूर करें। इस अन्तरिक्ष और बड़े सागर में आश्रय ग्रहण करते जो रुद्र स्थित हैं, नीली गर्दन और श्वेतकण्ठ वाले जो सर्व नामक रुद्र नीचे पृथ्वी पर विचरण करते हैं, जो हरित वर्ण नील ग्रीवा वाले तेजोमय शरीर युक्त वृक्षों🌳 में वर्तमान हैं, जो रुद्र प्राणियों के अधिपति हैं तथा शिखाहीन अर्थात् केशरहित रुद्र एवं जो जटाओं से युक्त हैं जो लौकिक तथा वैदिक पथों के रक्षक और अन्न से प्राणियों को पुष्ट करने वाले तथा जीवन पर

Sri Rudram- 13|Namakam- 10| with meaning in Hindi |श्रीरुद्रम्- १३|नमकम् अनुवाक १०|हिंदी अर्थ सहित

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वेदमंत्र एवम् अर्थ-18    🌹श्रीरुद्रम्-13🌹        अनुवाक-10 आरात्ते गोघ्न  उत पूरुषघ्ने क्षयद्वीराय सुम्नमस्मे ते अस्तु । रक्षा च नो अधि च देव ब्रूह्यधा च न: शर्म यच्छ द्विबर्हा:। ।।६०।। हे देवता आपका उत्तर रूप जो दुर्जनों का संहारक है, हमारे निकट रहे, हमारी रक्षा करे। हमारा परिरक्षण करें और हमारे ऊपर ऐसी कृपा करें कि हमें सांसारिक वैभव और आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त हो। 🙏(६0) स्तुहि श्रुतं गर्तसदं युवानं मृगन्न भीममुपहत्नुमुग्रम्। मृडा जरित्रे रुद्र स्तवानो अन्यन्ते अस्मन्निवपन्तु सेना: । ।६१ । । हम उस ख्याति लब्ध की प्रशंसा करते हैं जो हमारे हृदय में रहता है, जो सिंह के समान तेजस्वी है, जो संहारक है तथा जो परम श्रेष्ठ है।हे भगवान रुद्र, हमारी प्रार्थना हैं कि जीवों को आनन्द प्रदान करें। आपकी शक्ति दुष्टों का शमन करे। 🙏    (६१) परिणो रुद्रस्य हेतिर्वृणक्तु परि त्वेषस्य दुर्मति रघायो: । अव स्थिरा मघवद्भ्यस्तनुष्व मीढ्वस्तोकाय तनयाय मृडय ।।६२।। हम भगवान रुद्र की आराधना करते हैं, उनके शस्त्र पापियों का क्रोध से दहन करते हैं और उन्हें हमसे दूर रखते हैं। हे वरदायक, हम आपको

वेदमंत्र एवम् अर्थ- १७| श्रीरुद्रम्- १२| नमकम् |अनुवाक- १०|हिंदी अर्थ सहित | Sri Rudram- 12| Namakam- 10|with meaning in Hindi

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वेदमंत्र एवम् अर्थ-17    🌟श्रीरुद्रम्-12🌟     🙏नमकम्🙏       अनुवाक-10 द्रापे अन्धसस्पते दरिद्रन्नील लोहित। एषां पुरुषाणामेषां पशूनां मा भेर्माऽरो मो एषां किञ्चनाममत। ।।५ ४।। शत्रुओं को दुर्दशा में पहुँचा देने वाले अन्न के पालक, निष्परिग्रह, नील देही रुद्र, हमारे प्रजा, पुत्रादि- गौ🐮 आदि पशुओं को भयभीत मत करो, इनको रोग से पीड़ित भी न करो, हमारी प्रजा तथा हम किसी भी प्रकार रोग से ग्रसित न हों।  🙏  (५४) या ते रुद्र शिवा तनू: शिवा विश्वाहभेषजी। शिवा रुद्रस्य भेषजी तया नो मृड जीवसे।    ।।५५।। हे रुद्र आपका यह स्वरुप जो दिव्य औषधिकारी है, हमारे कष्टों के निवारण के लिये सर्व औषधि💊 बने, इससे हमारे समस्त कष्टों का निवारण हो और हम शक्ति युक्त💪 प्रसन्न😊 रहें।   🙏(५५) इमागं रुद्राय तवसे कपर्दिने क्षयद्वीराय प्रभरामहे मतिम्। यथा न: शमसद्द्विपदे चतुष्पदे विश्वं पुष्टं ग्रामे अस्मिन्ननातुरम्।। ५६ ।।  हम रुद्र के ज्ञान के प्रति समर्पण करते हैं, उनके केश जटायुक्त हैं, वे शत्रु के संहारक हैं। उनकी कृपा से हमारे ग्राम के लोग👥 और पशु🐮🐐🐇 पुष्ट हों। रोग रहित हों और उन्नति करे

Sri Rudram- 11|Namakam- 9|श्रीरुद्रम्- ११|नमकम् |अनुवाक- ९|हिंदी अर्थ सहित

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वेदमंत्र एवम् अर्थ-16   🌹श्रीरुद्रम्-11🌹     🙏नमकम्🙏       अनुवाक-9 नम इरिण्याय च प्रपथ्याय च नम: किगंशिलाय च क्षयणाय च नम: कपर्दिने च पुलस्तये च ।। ४  ।।  उपजाऊ भूमि 🌱🌾और मितव्यय मार्गों में रहने वाले के लिए नमस्कार, पथरीली भूमि और निवास, यज्ञ स्थानों में रहने वाले के लिए नमस्कार, उलझे हुए केश के लिए नमस्कार तथा शीघ्र प्राप्त हो जाने वाले के लिए नमस्कार। 🙏(४९) नमो गोष्ठ्याय च गृह्याय च नमस्तल्प्याय च गेह्याय च नम: काट्याय च गह्वरेष्ठाय च नमो हृदय्याय च निवेष्प्याय च ।   ।।५०।। गोशालाओं🐮 में रहने वाले और घरों में रहने वाले के लिए नमस्कार, झोंपड़ी🏠 और महलों 🏤में रहने वाले के लिए नमस्कार, कंटीली झाड़ी और पर्वत की कंदराओं में रहने वाले के लिए नमस्कार, जल की भंवर और ओस की बून्दों 💦💧में रहने वाले के लिए नमस्कार।🙏(५0) नम: पागं सव्याय च रजस्याय च नम: शुष्काय च हरित्याय च नमो लोप्याय चोलप्याय च नम ऊर्व्याय च सूर्म्याय च ।।५१।। परमाणु✨ और धूल में रहने वाले के लिए नमस्कार, सूखे काष्ठ आदि में विराजमान तथा हरे पत्ते 🌿आदि में विद्यमान के लिए नमस्कार, शुष्क स्थान में रह

Sri Rudram- 10| Namakam- 8| श्रीरुद्रम्- १०|नमकम् |अनुवाक- ८|हिंदी अर्थ सहित

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वेदमंत्र एवम् अर्थ-15   🍁श्रीरुद्रम्-10🍁     🙏नमकम्🙏      अनुवाक- 8   ॐ हर हर हर हर ॐ। नम: सोमाय च रुद्राय च नमस्ताम्राय चाऽरुणाय नम: शङ्गाय च पशुपतये च नम उग्राय च भीमाय च ।। ४४ ।।  ओम् हर हर हर हर ओम्। सोम के लिए नमस्कार, रुद्र के लिए नमस्कार, ताम्र वर्ण के लिए नमस्कार, अरुण वर्ण के लिए नमस्कार, सभी जीवों के संरक्षक के लिए नमस्कार, पशुपति के लिए नमस्कार, उग्र और भीम  के लिए नमस्कार। 🙏(४४) नमो अग्रेवधाय च दूरेवधाय च नमो हन्त्रे च हनीयसे च नमो वृक्षेभ्यो हरिकेशेभ्यो नमस्ताराय ।। ४५ ।। शत्रुओं का सामने से संहार करने बाले के लिए नमस्कार, दूर से मारने वाले के लिए नमस्कार, शत्रु को मारने वाले के लिए नमस्कार और शत्रु के अतिशय अन्त के लिए नमस्कार, हरे पत्ते केश वाले तरु🌳 रूप के लिए नमस्कार तथा संसार के मारने वाले परमात्मा के लिए नमस्कार। 🙏( ४५ )  नमश्शम्भवे च मयोभवे च नम: शङ्कराय च मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च नमस्तीर्थ्याय च कूल्याय च ।।४६।।  आनन्द तथा सबके ज्ञाता के लिए नमस्कार, कल्याणकारी और सुख देने वाले के लिए नमस्कार, मंगल स्वरूप तथा अत्यन्त श

Sri Rudram- 9|Namakam- 7|श्रीरुद्रम्- ९|अनुवाक- ७|हिंदी अर्थ सहित

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वेदमंत्र एवम् अर्थ-14      🌾श्रीरुद्रम्-9🌾       🙏नमकम्🙏        अनुवाक- 7 नमो दुन्दुभ्याय चाहनन्याय च नमो धृष्णवे च प्रमॅशाय च नमो दूताय च प्रहिताय च नमो निषङ्गिणे चेषुधिमते च ।।४०।। दुन्दुभि की ध्वनि में रहने वाले के लिए नमस्कार और शत्रुओं के घर्षण करने में समर्थ के लिए नमस्कार दूत और सन्देश वाहकों में रहने वाले के लिए नमस्कार तथा खड्ग और खड्ग कोष धारण करने वाले के लिए नमस्कार।🙏 (४०) नमस्तीक्ष्णेषवे चायुधिने च नम: स्वायुधाय च सुधन्वने च नमः स्रुत्याय च पथ्याय च नम: काट्याय च नीप्याय च ।।४१।। तीक्ष्ण बाण वाले के लिए तथा उत्तम शस्त्र वाले के लिए नमस्कार, शोभन आयुद्ध और श्रेष्ठ धनुष धारण करने वाले के लिए नमस्कार, संकरे मार्ग पर चलने वाले और राजमार्ग पर चलने वाले के लिए नमस्कार, संकीर्ण जल स्रोतों और विशाल जल स्रोतों में रहने वाले के लिए नमस्कार।🙏 (४१) नम: सूद्याय च सरस्याय च नमो नाद्याय च वैशन्ताय च नम: कूप्याय चावट्याय च नमो वर्ष्याय चावर्ष्याय च नमो मेध्याय च विद्युत्याय च ।। ४२ ।। दल-दल और गहरे जलाशयों में रहने वाले के लिए नमस्कार, नदियों और झीलों में रहने वालों

Saptashloki Durga | सप्तश्लोकी दुर्गा

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ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवि भगवती हि सा । बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥1॥ भावार्थ : वे भगवती महामाया देवी ज्ञानियों के भी चित्त को बलपूर्वक खींचकर मोह में डाल देती हैं । दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः  स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि । दारिद्रयदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्र चित्ता ॥2॥  भावार्थ : माँ दुर्गे ! आप स्मरण करने पर सब प्राणियों का भय हर लेती हैं और स्वस्थ पुरुषों द्धारा चिन्तन करने पर उन्हें परम कल्याणमयी बुद्धि प्रदान करती हैं । दुःख, दरिद्रता और भय हरनेवाली देवी ! आपके सिवा दूसरी कौन है, जिसका चित्त सबका उपकार करने के लिए सदा ही दयार्द्र रहता हो । सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।  शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥3॥ भावार्थ : नारायणी ! आप सब प्रकार का मंगल प्रदान करनेवाली मंगलमयी हैं, आप ही कल्याणदायिनी शिवा हैं । आप सब पुरुषार्थ्रो को सिद्ध करने वाली, शरणागतवत्सला, तीन नेत्रों वाली गौरी हैं । आपको नमस्कार है । शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे ।  सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽ

Sri Rudram- 8|Namakam- 6 |श्रीरुद्रम्- ८| नमकम् |अनुवाक- ६|हिंदी अर्थ सहित

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  वेदमंत्र एवं अर्थ-13     🙌श्रीरुद्रम्-8🙌      🙏नमकम्🙏        अनुवाक-6  नमो ज्येष्ठाय च कनिष्ठाय च नम: पूर्वजाय चापरजाय  च नमो मध्यमाय चापगल्भाय च च नमो जघन्याय च बुध्नियाय च नम: सोभ्याय च प्रतिसर्याय च ।।३७।।  ज्येष्ठ तथा कनिष्ठ के लिए नमस्कार है, पूर्व तथा वर्तमान के लिए नमस्कार है, मध्यम और अविकसित के लिए नमस्कार, जघन्य श्वेतज और वृक्षादि के मूल में होने वाले निमित्त को नमस्कार।🙏 (३७)  नमो याम्याय च क्षेम्याय च नम उर्वर्याय च खल्याय च नम: श्लोक्याय चाऽवसान्याय च नम वन्याय च कक्ष्याय च नम: श्रवाय च प्रतिश्रवाय च।।३८।।  मृत्यु और मुक्ति में उपस्थित के लिए नमस्कार,हरे खेतों और खलिहानों मे उपस्थित के लिए नमस्कार, मन्त्रों, वेदों और उपनिषदों में उपस्थित के लिए नमस्कार, वनों और लताओं में मौजूद के लिए नमस्कार तथा ध्वनि और प्रतिध्वनि में रहने वाले को नमस्कार ।🙏(३८)  नम आशुषेणाय चाशुरथाय च नम: शूराय चावभिन्दते च नमो वर्मिणे च वरूथिने च नमो बिल्मिने च कवचिने च नम: श्रुताय च श्रुतसेनाय च । ।।३९।।  सेना और रथ में चलने वाले के लिए नमस्कार, असुरों का न

Sri Rudram- 7 | Namakam- 5 | श्रीरुद्रम्- ७| नमकम् |अनुवाक- ५| हिंदी अर्थ सहित

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Rudrabhishekam at Sai-Centre, Shahabad Markanda  वेदमंत्र एवम् अर्थ-12          🌻श्रीरुद्रम्-7🌻    🙏नमकम्🙏     अनुवाक - 5 नमो भवाय च रुद्राय च ।। ३ ३ ।।  उत्पन्न करने वाले और संहार करने वाले आपको नमस्कार।🙏 (३३) नमः शर्वाय च पशुपतये च नमो नीलग्रीवाय च शितिकण्ठाय च नम: कपर्दिने च व्युप्तकेशाय च नमः सहस्राक्षाय च शतधन्वने च ।।३४।। सभी प्राणियों के रक्षक को नमस्कार है, उनके संहरता को नमस्कार है, नीलकण्ठ को नमस्कार है तथा धौत्कण्ठ(श्वेत) वाले को नमस्कार है। जटाओं से युक्त को नमस्कार है क्या बिना केश वाले को नमस्कार है, सहस्र आँखों वाले को नमस्कार है तथा हजार धनुष धारण करने वाले को नमस्कार है। 🙏 (३४) नमो गिरिशाय च शिपिविष्टाय च नमो मीढुष्टमाय चेषुमते च नमो ह्रस्वाय च वामनाय च नमो बृहते च वर्षीयसे च नमो वृद्धाय च संवृध्वने च।। ३ ५ ।। पर्वत पर रहने वाले को जो सभी प्राणियों में वास करता है, को नमस्कार है, सुख रूप तृप्ति कर्त्ता के लिए नमस्कार है और बाणधारी के लिए नमस्कार है, अल्प शरीर के लिए नमस्कार है और संकुचित अंग वाले के लिए नमस्कार है, प्रौढ़ के लिए तथा अतिवृद्ध के ल

Sri Rudram- 6 | Namakam |श्रीरुद्रम्- ६|नमकम् |अनुवाक- ४|हिंदी अर्थ सहित

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वेदमंत्र एवम् अर्थ-11    🍀श्रीरुद्रम्-6🍀       🙏नमकम्🙏        अनुवाक - 4 नम आव्याधिनीभ्यो विविध्यन्तीभ्यश्च वो नमो नम उगणाभ्यस्तृगंहतीभ्यश्च वो नमो नमो गृत्सेभ्यो गृत्सपतिभ्यश्च वो नमो नमो व्रातेभ्यो व्रातपतिभ्यश्च वो नमो ।। २९ ।। सेनाओं में स्थित के लिए नमस्कार है और विशेषकर शत्रु को घेरने वाली सेना में स्थित रुद्र के लिए नमस्कार है। उत्कृष्ट युद्ध समूह वाली सेना के लिए नमस्कार है और युद्ध में प्रहार करने वाले दुर्ग आदि में स्थित सेना के लिए नमस्कार है। विशेषगण और अनेक जातियों के पति के लिए नमस्कार और भ्रातगणों के अधिपति के लिए नमस्कार। बुद्धिमानों के लिए नमस्कार और बुद्धिमानों के रक्षक🙌 के लिए नमस्कार।🙏 (२९) नमो गणेभ्यो गणपतिभ्यश्च वो नमो नमो विरूपेभ्यो विश्वरूपेभ्यश्च वो नमो नमो महद्भ्य:, क्षुल्लकेभ्यश्च वो नमो नमो रथिभ्योऽरथेभ्यश्च वो नमो नमो रथेभ्यो रथपतिभ्यश्च वो नमो ।। ३० ।। भूतगणों के लिए नमस्कार और गणों के अधिपति के लिए नमस्कार। विविध रूप और नाना रूप वालों के लिए नमस्कार, रथ के अधिष्ठात्री के अन्तर में स्थित के लिए नमस्कार और रण सामग्री ग्रहणकर्त्ता के लिए न

Sri Rudram- 5 | Namakam | श्रीरुद्रम्- ५ | नमकम् | अनुवाक- ३ | हिंदी अर्थ सहित

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वेदमंत्र एवम् अर्थ-10         🌹श्रीरुद्रम्-5🌹        🙏नमकम्🙏    🌿अनुवाक - 3🌿  नम: सहमानाय निव्याधिन आव्याधिनीनां पतये नमो नम: ककुभाय निषङ्गिणे स्तेनानां पतये नमो ।।२३।। शत्रुओं को पराजित करने वाले और बेरियों को अधिक मारने वाले रूद्र को नमस्कार हैं। सब प्रकार से प्रहार करने वाली सूर सेनाओं के पालक रूद्र के लिए नमस्कार है। उपद्रवकारियों पर खड्ग चलाने वाले महान रूद्र के लिए नमस्कार है। 🙏(२३) नमो निषङ्गिण इषुधिमते तस्कराणां पतये नमो नमो वञ्चते परिवञ्चते स्तायूनां पतये नमो नमो निचेरवे परिचरायारण्यानां पतये नमो।। २४ ।। खड्गधारी और बाणधारी को शान्त करने वाले के लिए नमस्कार है। चोरों के मुखिया के लिए नमस्कार है। खगों के स्वामी को विश्वास दिलाकर व्यवहार में उनको ठगाने वालों के साक्षी रूद्र के लिए नमस्कार है।🙏  (२४) नम: सृकाविभ्यो जिघागंसद्धयो मुष्णतां पतये नमो नमोऽसिमद्भयो नक्तं चरंद्भयः प्रकृन्तानां पतये नमो नम उष्णीषिणे गिरिचराय कुलुञ्चानां पतये नमो । । २५ । । वन में भटकने वाले सदा गुप्त रहने वालों के प्रमुख को नमस्कार।खगों के मुखिया को जो अपनी रक्षा में सदा चैतन्य औ

Sri Rudram- 4 | Namakam | श्रीरुद्रम् -४ | नमकम् | अनुवाक- २ | हिंदी अर्थ सहित

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 वेदमंत्र एवम् अर्थ-9      🌷श्रीरुद्रम्-4🌷        🙏नमकम्🙏         अनुवाक - 2 नमो हिरण्यबाहवे सेनान्ये दिशां च पतये नमो नमो वृक्षेभ्यो हरिकेशेभ्य: पशूनां पतये नमो नम: सस्पिञ्जराय त्विषीमते पथीनां पतये नमो ।।18।। भुजाओं में स्वर्ण के अलंकार धारण करने वाले महाबली सेनापति रुद्र को नमस्कार है। दिशाओं के अधिपति अर्थात् समस्त जगत् की अपनी भुजाओं से रक्षा करने वाले सेनापति के लिए नमस्कार है। पर्ण रूप हरे बालों वाले यक्ष रूप रूद्र को नमस्कार हैं। पशुओं के पालन करने वाले रूद्र के लिए नमस्कार है। कान्तिवान बाल तृणवत वर्ण वाले रुद्र के लिए नमस्कार है। मार्गों के पति रुद्र के लिए नमस्कार।(१८) नमो बभ्लुशाय विव्याधिनेऽन्नानां पतये नमो नमो हरिकेशायोपवीतिने पुष्टानां पतये नमो नमो भवस्य हेत्यै जगतां पतये नमो ।।19 ।। कपिल वर्ण और शत्रुओं को भेदने वाले व्याधि रूप रुद्र को नमस्कार है। अन्नों के पालक रुद्र के लिए नमस्कार। उपवीत(जनेऊ) धारण करने वाले नीले वर्ण केश रुद्र के लिए नमस्कार है। पुष्ट मनुष्यों के स्वामी रुद्र के लिए नमस्कार है। संसार के स्वामी के लिए नमस्कार है। (19) नमो रुद्राया

Sri Rudram- 3 | Namakam | श्रीरुद्रम् -३| नमकम् | हिंदी अर्थ सहित

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वेदमंत्र एवम् अर्थ-8      🌺श्री रुद्रम्-3🌺 🙏 नमकम् अनुवाक-1🙏  प्रमुञ्च धन्वनस्त्वमुभयोरार्त्नि योर्ज्याम्।याश्च ते हस्त इषवः परा ता भगवो वप।।11।। हे ऐश्वर्य सम्पन्न रुद्र अपने धनुष की दोनों कोटियों में स्थित ज्या(डोरी) को तुम दूर कर लो और जो तुम्हारे हाथ में बाण है उनको दूर करलो।(११) अवतत्य धनुस्त्वगुंसहस्राक्ष शतेषुधे । निशीर्य-शल्यानां मुखा शिवो न: सुमना भव। ।।१२।। हे हजारों नेत्रों वाले, हे सहस्रों तरकशों वाले रुद्र तुम धनुष को ज्या रहित करके और बाणों के फालों को निकाल करके हमारे लिए कल्याणकारी व शोभनचित वाले हो जाओ।(१२) विज्यं धनु: कपर्दिनो विशल्यो बाणवागं उत  अनेशन्नस्येशव आभुरस्यनिषंगथि: ।। 1 ३ ।। जटाधारी वीर रुद्र का धनुष, ज्या और तरकश बाणों से शून्य हो। इस देवता के जो बाण हैं वे हमें न दिखें। इनके खड्ग रखने का कोष खाली हो।(१३) या ते हेतिर्मीढुष्टम हस्ते बभूव ते धनु: । तयाऽस्मान् विश्वतस्त्वमयक्ष्मया परिब्भुज ।।१४ ।। हे सुख का सिंचन करने वाले रुद्र तुम्हारे हाथ में जो हथियार हैं, तुम्हारे हाथ में जो धनुष है, इस उपद्रव रहित शस्त्र से तुम सब ओर से हमारा पाल

Sri Rudram- 2 | Namakam | with meaning in Hindi | श्रीरुद्रम्- २ | नमकम् | हिंदी अर्थ सहित

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वेदमंत्र एवम् अर्थ-7     🌸श्री रुद्रम्🌸      🙏नमकम्-2🙏  शिवेन वचसा त्वा गिरिशाच्छावदामसि, यथा नः सर्वमिज्जगदयक्ष्मगुं सुमना असत्।। ६ ।।  हे स्वरुप में सबको शान्तिदायक, देववाणी में स्थित होकर प्राणियों की रक्षा करने वाले रुद्र, तुम जिस बाण को शत्रुओं का नाश करने के लिये हाथ में धारण करते हो, उस बाण को कल्याणकारी करो और मनुष्यों तथा जगत के गौ आदि पशुओं को मत मारो। (6) अध्यवोचदधिवक्ता प्रथमो दैव्यो भिषक्। अहीगंश्च सर्वाजम्भयन्त्सर्वाश्च यातुधान्य: ।। ७ ।। मुख से भाषण करते हुए सर्वश्रेष्ठ दिव्य वैद्य रूप रुद्र से हम कह रहे हैं कि वे सर्प आदि क्रूर राक्षस जैसे   दुष्टों को विनष्ट करके सम्पूर्ण नीच राक्षसी वृत्ति के लोगों को हमसे दूर करे।(७) असौ यस्ताम्रो अरुण उत बभ्रु: सुमङ्गल: । ये चेमागं रुद्रा अभितो दिक्षुश्रिता: सहस्रशोऽवैषागं हेडईमहे ।। ८ ।। जो यह उदय के समय ताम्रवर्ण, मध्य समय में अरुण वर्ण और अस्त समय में भूरे वर्ण युक्त हैं, वे उत्तम मंगल करने वाले सूर्य अनेक कणों का विस्तार करते हैं और जो सहस्रों रुद्र इसके सब ओर नाना दिशाओं में हैं, इनका क्रोध हमसे दूर रहे। (८

Sri Rudram | Namakam | with meaning in Hindi | श्रीरुद्रम् | नमकम्- १ | हिंदी अर्थ सहित

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वेदमंत्र एवम् अर्थ-6 🌻।। श्री रुद्रप्रश्न: ।।-1🌻 🙏 (1)नमकम् अनुवाक - 1🙏 ॐ नमो भगवते रुद्राय । । १ । । भगवान रुद्र को नमस्कार(१) ॐ नमस्ते रुद्र मन्यव उतोत इषवे नम: । नमस्ते अस्तु धन्वने बाहुभ्यामुतते नम: ।। २ ।। दुष्टों को रुलाने वाले रुद्र; तुम्हारे क्रोध के लिए मेरा नमस्कार। तुम्हारे बाणों के लिए मेरा आदर है और तुम्हारी दोनों भुजाओं के लिए भी मेरा प्रणाम।(२) या त इषुः शिवतमा शिवं बभूव ते धनुः । शिवा शरव्या या तव तया नो रुद्र मृडय । ।3 । । हे भगवान रूद्र ;आपका वह बाण और आपका वह धनुष तथा आपका  वह तरकश जो कल्याणकारी है; हमें आनन्द प्रदान करे । (३) या ते रुद्र शिवा तनूरघोराऽपापकाशिनी । तया नस्तनुवा शन्तमया गिरिशन्ताभिचाकशीहि । । ४ । । हे भगवान रूद्र! तुम जिस महान प्रशान्त आकार के द्वारा पापों का नाश करते हैं। जो कल्याणकर और सुखकारी है वह हमें सर्वोच्च ज्ञान प्रदान करे। (४) यामिषुं गिरिशंत हस्ते बिभर्ष्यस्तवे । शिवां गिरित्र तां कुरु मा हिगुंसी: पुरुषञ्जगत्। ।5 ।। हे पर्वत के किले में रहने वाले तथा शत्रु को रुलाने वाले, जो आपका शान्त मंगलभूत पापों को दूर करने वाल

Sai - Swaranjali | Prasanthi Nilayam

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Musical Offering by Sai Youth of Haryana & Chandigarh Watch on YouTube at Sai-Swaranjali @Prasanthi Nilayam: http://www.youtube.com/playlist?list=PLjbQ-MH53zmfAwF3CcnhtEItgoo36WLoC Celebrating the epochal 90th year of His Divine Advent that coincides with the 50th year of Sri Sathya Sai Seva Organisations, Sai Youth from Haryana and Chandigarh presented a musical offering "Sai Swaranjali" on Sunday, 7th August, 2016 at the Sanctum Sanctorum in Prasanthi Nilayam. Commemorating the special occasion, the Sai Swaranjali concert has been on throughout the State, spreading His eternal message of "Love All Serve All", executed with great zeal by the Youth Wing of Sathya Sai Seva Organizations.  The programme commenced at 1700 hrs with the State President of SSSSO delivering an introductory talk, stressing on the greater need of the hour, Service. The musical offering that followed had 7 gems strung together, all sung in chorus, engulfing the vast S

Sai- Swaranjali | Tagore Theatre | Chandigarh

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Sai-Swaranjali held on Monday 11th April 2016 at Tagore Theatre Chandigarh in the auspicious presence of Honourable Governor Chhattisgarh Sh. Balram Ji Das Tandon, AIP Sh. Nimish Pandya, National Vice President Sh N. Ramani, State President Sh. S. C. Dheer &other dignitaries. Watch on YouTube at Sai-Swaranjali @ Chandigarh:  Click here to watch the videos 1. Introduction of the team members of Sai- Swaranjali by Ankush Garg 2. Rakh Laaj Meri Ganapati : Dr. Satyakam 3. Varade- 3 Veenavaadini Varade : Dr. Satyakam & team 4. Naina Tarase: Dr. Satyakam 5. Ambey Charan Kamal hain Tere: Dr. Satyakam & team 6. Message of Bhagwan Sri Sathya Sai Baba by Sachin Singla 7. Chadariya Jheeni re Jheeni: Dr. Satyakam & team 8. Naman hai Hamara Tumhe Sai Baba: Dr. Satyakam & team 9. Chalo Mann Ganga Yamuna Teer: Dr. Satyakam 10. Main Lajpala de Lar Lagiyan mere ton Gam pare rahande Sufi Quawali: Ravinder Singla & team 11. Address by Sh. Nimish Pandya AIP S

गणपति अथर्वशीर्षम्- ५ | हिंदी अर्थ सहित | Ganapati Atharva Sheersham with meaning in Hindi- 5

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वेदमंत्र एवम् अर्थ-5 🌻गणपति अथर्वशीर्षम्-4🌻 गकार: पूर्वरूपम्। अकारो मध्यमरूपम्। अनुस्वारश्चान्त्यरूपम्। बिन्दुरुत्तररूपम्। नाद: सन्धानम्। सगंहिता सन्धि: । सैषा गणेशविद्या। गणक ऋषि: । निचृद्गायत्रीच्छन्द: । गणपतिर्देवता। ॐ गं गणपतये नम: ।।७।। "ग" कार पूर्वरूप है। "अ" कार मध्य रूप है। अनुस्वार अन्त्य रूप है। बिन्दु उत्तर रूप है।नाद संधान है। यही गणेश विद्या है। इसके ऋषि गणक हैं। इसका छन्द निचृत् गायत्री है। देवता गणपति हैं। ओम् गं गणपति को नमस्कार। (७) एकदन्ताय विद्यहे वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दन्ति: प्रचोदयात्। । 4 ।। मैं एक दात और मुड़ी हुई सूण्ड वाले देवता-(गणेश) की आराधना करता हूँ। वे मुझे सुप्रेरित कर ज्ञान प्रदान करें।(८) एकदन्तं चतुर्हस्तं पाशमङ्कुशधारिणम्। रदं च वरदं हस्तैर्बिभ्राणं  मूषकध्वजम्।। रक्तं लंबोदरं शूर्पकर्णकं रक्तवाससम्।। रक्तगन्धानुलिप्ताङ्गं रक्तपुष्पैः सुपूजितम्।। भक्तानुकम्पिनं देवं जगत्कारणमच्युतम्। आविर्भूतं च सृष्ट्यादौ प्रकृते: पुरुषात्परम्। एवं ध्यायति यो नित्यं स योगी योगिनां वर: ।।9। जिनका एक दाँत है, चार हाथों में पाश

Ganapati Atharva Sheersham- 4 | गणपति अथर्वशीर्षम्- ४ | हिंदी अर्थ सहित

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🌸वेदमंत्र एवम् अर्थ-4🌸 🍃गणपति अथर्वशीर्ष-3🍃 __________________ त्वं गुणत्रयातीत: । त्वम् अवस्थात्रयातीत: । त्वं देहत्रयातीत: । त्वं कालत्रयातीत: । त्वं मूलाधारस्थितोऽसि नित्यम्। त्वं शक्तित्रयात्मक: । त्वां योगिनो ध्यायन्ति नित्यम्। त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वं रुद्रस्त्वमिन्द्रस्त्वमग्निस्त्वंवायुस्त्वंसूर्यस्त्वंचन्द्रमास्त्वं ब्रह्मभूर्भुवःस्वरोऽम्।।  गणादिं पूर्वमुच्चार्य वर्णादीं स्तदनन्तरम्। अनुस्वार:  परतर: । अर्धेन्दुलसितम्। तारेण ऋद्धम्। एत्तत्तव मनुस्वरूपम्।।६ ।। तुम तीनों गुणों से परे हो।तुम चेतना के तीनों स्तरों से परे हो। तुम तीनों शरीरों से परे हो। तुम तीनों कालों से परे हो। तुम निरन्तर मूलाधार चक्र में व्याप्त हो। तुम त्रिधात्मक शक्ति हो। योगीजन निरन्तर तुम्हरा ध्यान धरते हैं। तुम ब्रह्मा हो, तुम विष्णु हो, तुम रूद्र हो, तुम इन्द्र हो, तुम अग्नि हो, तुम वायु हो, तुम सूर्य हो, तुम चन्द्रमा हो, तुम ब्रह्म लोकव्याप्त और अध्यात्म हो।"गं" आदि में उच्चरित कर "अ" वर्ण बाद में बोलें। अनुस्वार इसके बाद उच्चरित किया जाए। अर्धचंद्राकार से उसे स

गणपति अथर्वशीर्षम्- ३ | हिंदी अर्थ सहित | Ganapati Atharva Sheersham with meaning in Hindi- 3

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🌸वेदमंत्र एवम् अर्थ-4🌸 🍃गणपति अथर्वशीर्ष-3🍃 __________________ त्वं गुणत्रयातीत: । त्वम् अवस्थात्रयातीत: । त्वं देहत्रयातीत: । त्वं कालत्रयातीत: । त्वं मूलाधारस्थितोऽसि नित्यम्। त्वं शक्तित्रयात्मक: । त्वां योगिनो ध्यायन्ति नित्यम्। त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वं रुद्रस्त्वमिन्द्रस्त्वमग्निस्त्वंवायुस्त्वंसूर्यस्त्वंचन्द्रमास्त्वं ब्रह्मभूर्भुवःस्वरोऽम्।।  गणादिं पूर्वमुच्चार्य वर्णादीं स्तदनन्तरम्। अनुस्वार:  परतर: । अर्धेन्दुलसितम्। तारेण ऋद्धम्। एत्तत्तव मनुस्वरूपम्।।६ ।। तुम तीनों गुणों से परे हो।तुम चेतना के तीनों स्तरों से परे हो। तुम तीनों शरीरों से परे हो। तुम तीनों कालों से परे हो। तुम निरन्तर मूलाधार चक्र में व्याप्त हो। तुम त्रिधात्मक शक्ति हो। योगीजन निरन्तर तुम्हरा ध्यान धरते हैं। तुम ब्रह्मा हो, तुम विष्णु हो, तुम रूद्र हो, तुम इन्द्र हो, तुम अग्नि हो, तुम वायु हो, तुम सूर्य हो, तुम चन्द्रमा हो, तुम ब्रह्म लोकव्याप्त और अध्यात्म हो।"गं" आदि में उच्चरित कर "अ" वर्ण बाद में बोलें। अनुस्वार इसके बाद उच्चरित किया जाए। अर्धचंद्राकार से उसे स

गणपति अथर्वशीर्षम् -२ | हिंदी अर्थ सहित | Ganapati Atharva Sheersham- 2

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🌷वेद मंत्र एवम् अर्थ-3🌷 🙏गणपति अथर्वशीर्ष-2🙏 अव त्वं माम्। अव वक्तारम् । अव श्रोतारम् । अव दातारं । अव धातारम् । अवानूचानमव शिष्यम्। अवं पश्चात्तात्। अवं पुरस्तात्। अवोत्तरात्तात्। अव दक्षिणात्तात्। अव चोर्ध्वात्तात्।  अवाधरात्तात्। सर्वतो माम् पाहि पाहि समन्तात् ।। तुम मेरी रक्षा करो।अपने उपासक की रक्षा करो। उत्तम श्रोता की रक्षा करो। मुझ दान करने वाले की रक्षा करो।मुझ उपासना करने वाले की रक्षा करो। अपने सभी वेदपाठी शिष्यों की रक्षाकरो। मेरी पृष्ठभाग(पीछे) से रक्षा करो। मेरी सामने से रक्षा करो  मेरी उत्तर से रक्षा करो। मेरी दक्षिण से रक्षा करो। मेरी ऊपर से रक्षा करो।मेरी नीचे से रक्षा करो। मेरी सभी बाधाओं से एवं समस्त दिशाओं में रक्षा करो। (३) त्वं वाङ्मयस्त्वं चिन्मयः। त्वमानन्दमयस्त्वं ब्रह्ममय: । त्वं सच्चिदानन्दाऽद्वितीयोऽसि। त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्मासि। त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि ।।४ ।। तुम्ही वाणी और तुम्ही चेतना हो। तुम आनन्दमय और तुम्ही ब्रह्ममय हो। तुम्हीं सच्चिदानन्द हो, अन्य कोई नहीं।तुम प्रत्यक्ष ब्रह्म हो। तुम ज्ञानमय और विज्ञानमय हो।(४) सर्वं जगदिदं त्वत
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🙏वेदमंत्र एवम् अर्थ-2🙏 1. गणपति अथर्व शीर्षम् -1 (भूमिका - गणेशजी की आराधना पूर्वक, हम गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करते हैं। ऋषि अथर्व जिन्होंने गणेशजी का साक्षात्कार किया, अपने अनुभव को हमारे हित में इस रूप में प्रकट किया है।अथर्व ऋषि का कथन इस तरह है।) ॐ भद्रं कर्णेभि: शृणुयाम देवा: । भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्रा: । स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवागं सस्तनूभि: । व्यशेम देवहितं यदायुः । स्वस्ति नः इंद्रो वृद्धश्रवा: । स्वस्ति न: पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमि: । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु।। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्ति: ।। हे देव, हम कानों से शुभ सुनें।हम यजन करते हुए अपनी आँखों से शुभ देखें ।हम स्वस्थ शरीर के द्वारा तुम्हारी आराधना करें। हम जीवन पर्यन्त देवहित का ही आचरण करें। कीर्तिप्रद इन्द्र हमारा कल्याण करे। सर्वविर्द सूर्य हमारा हित करें। बुराइयों के अपहर्ता गरुड़ हमारा भला करें। बृहस्पति हमारा हित साधन करें।। शरीर, मन और आत्मा शान्त हो। ॐ नमस्ते गणपतये। त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि। त्वमेव केवलं कर्ताऽसि । त्वमेव केवलं धर्ताऽसि । त्वमेव केवलं हर्ताऽसि । त्वमेव सर्वं ख

Ganapati Prarthna | गणपति प्रार्थना | हिंदी अर्थ सहित

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वेदमंत्र एवम् अर्थ- १ 🙏 गणपति प्रार्थना🙏   गणानां त्वा गणपतिगं हवामहे कविं कवीनामुपमश्रवस्तमम्। ज्येष्ठराजं ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पत आ न: श्रृण्वन्नूतिभिस्सीद सादनम् ।।1।। हम गणों के नायक गणपति का आह्वान करते हैं। वे ज्ञानियों में श्रेष्ठ और अनुपमेय हैं। हम तेजस्वी, परमश्रेष्ठ मन्त्रों के स्वामी का आह्वान करते है।आप हमारी प्रार्थना को सुनते हुए रक्षा साधनों के साथ हमारे घर में हमारी सहायता के लिए विराजें। ( १ ) प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वाजिनीवती।धीनामवित्र्यवतु। गणेशाय नम: । सरस्वत्यै नम: श्रीगुरुभ्यो नम: । हरि: ओम्।।२।। हम वाणी की देवी सरस्वती का, ऋचाओं के द्वारा आह्वान करते है कि माँ सरस्वती  हमारी वाणी को शुद्ध उच्चारण करने के लिए सुप्रेरित करें व हममें सुबुद्धि को जगाएँ। गणेश जी को नमस्कार🙏, सरस्वतीजी को नमस्कार🙏। गुरुदेव को नमस्कार🙏। हरिःॐ। (२) 🌷🌷🌷🌸🌷🌷🌷ड़

Audio Jukebox of Bhajan Sandhya | Dr. Satyakam

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Audio Jukebox of Bhajans sung in Bhajan Sandhya during Rama Navami celebrations in Vaikuntha puri Hanuman Mandir, Shahabad Markanda on Wednesday, 05.04.2017. 1. Ganesha & Saraswati Vandana 2. Ram ka Gunagaan kariye 3. Chadariya Jheeni re Jheeni 4. Jag mein Sunder Hain do Naam 5. Kabhi Kabhi Bhagwan ko bhi Bhakton se kaam pade Voice : Dr. Satyakam Tabla: Vaibhav Sharma Synthesizer: Vishal Sharma Octopad: Bunny Kumar Chorus: Ravinder Singla, Sachin Singla, Ankush Garg, Prabhat Gupta, Vaibhav Singla, Prashant Singla, Vibhuti Sharma & Vasundhara Sharma. Live Audio recorded by Sagar Sound, Shahabad Markanda.  Watch on YouTube at https://youtu.be/0b9XaCoAohg Subscribe our Channel at https://m.youtube.com/channel/UCGmcOXA4ZCyRRvem2B9nzhg
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बेड़ा पार करो मेरे साई https://youtu.be/lA5z_cDc0T4 Beda Paar Karo Mere Sai Raga: Sindhu Bharavi (Carnatic and Hindustani) Voice: Dr. Satyakam      बेड़ा पार करो मेरे साई      उद्धार करो मेरे बाबा      बेड़ा पार करो मेरे साई      अल्लाह ईश्वर साई बाबा      शिर्डी बाबा साईं बाबा      रहम नज़र करो साई बाबा      दया करो साई कृपा करो      बेड़ा पार करो मेरे साई      राग: भैरवी;       श्रुति: D(Gents), A(Ladies) BEDA PAAR KARO MERE SAI UDHAR KARO MERE BABA BEDA PAAR KARO MERE SAI ALLAH ESHWARA SAI BABA SHIRDI BABA PARTHI BABA RAHAM NAZAR KARO SAI BABA DAYA KARO SAI KRUPA KARO (2) TRANSLATION: OH LORD SAI! YOU ALONE SAVE ME FROM THIS OCEAN OF WORLDLY LIFE! OH MY LORD, MY BABA, PLEASE COME TO MY RESCUE! DEAR SAI BABA, YOU ARE THE SAME LORD, ALLAH AND ESHWARA (SHIVA) DEAR LORD, YOU ARE ONE WHO WAS BORN IN SHIRDI AND NOW IS IN PUTTAPARTHI OH LORD, PLEASE BLESS ME WITH YOUR KIND LOOKS MY LORD SAI, PLEASE BE GRACIOUS TO ME. Subscribe our Channel at https://m.youtu