Ganapati Atharva Sheersham- 4 | गणपति अथर्वशीर्षम्- ४ | हिंदी अर्थ सहित

🌸वेदमंत्र एवम् अर्थ-4🌸
🍃गणपति अथर्वशीर्ष-3🍃
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त्वं गुणत्रयातीत: । त्वम् अवस्थात्रयातीत: । त्वं देहत्रयातीत: । त्वं कालत्रयातीत: । त्वं मूलाधारस्थितोऽसि नित्यम्। त्वं शक्तित्रयात्मक: । त्वां योगिनो ध्यायन्ति नित्यम्। त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वं रुद्रस्त्वमिन्द्रस्त्वमग्निस्त्वंवायुस्त्वंसूर्यस्त्वंचन्द्रमास्त्वं ब्रह्मभूर्भुवःस्वरोऽम्।।

 गणादिं पूर्वमुच्चार्य वर्णादीं स्तदनन्तरम्। अनुस्वार:  परतर: । अर्धेन्दुलसितम्। तारेण ऋद्धम्। एत्तत्तव मनुस्वरूपम्।।६ ।।

तुम तीनों गुणों से परे हो।तुम चेतना के तीनों स्तरों से परे हो।
तुम तीनों शरीरों से परे हो। तुम तीनों कालों से परे हो। तुम निरन्तर मूलाधार चक्र में व्याप्त हो। तुम त्रिधात्मक शक्ति हो। योगीजन निरन्तर तुम्हरा ध्यान धरते हैं। तुम ब्रह्मा हो, तुम विष्णु हो, तुम रूद्र हो, तुम इन्द्र हो, तुम अग्नि हो, तुम वायु हो, तुम सूर्य हो, तुम चन्द्रमा हो, तुम ब्रह्म लोकव्याप्त और अध्यात्म हो।"गं" आदि में उच्चरित कर "अ" वर्ण बाद में बोलें।
अनुस्वार इसके बाद उच्चरित किया जाए। अर्धचंद्राकार से उसे संवारें। बिन्दु से विस्तार दें।(6)
🍃🍃ॐ श्री साईराम🍃🍃

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