वेदमंत्र एवम् अर्थ- १७| श्रीरुद्रम्- १२| नमकम् |अनुवाक- १०|हिंदी अर्थ सहित | Sri Rudram- 12| Namakam- 10|with meaning in Hindi
वेदमंत्र एवम् अर्थ-17
🌟श्रीरुद्रम्-12🌟
🙏नमकम्🙏
अनुवाक-10
द्रापे अन्धसस्पते दरिद्रन्नील लोहित। एषां पुरुषाणामेषां पशूनां मा भेर्माऽरो मो एषां किञ्चनाममत।
।।५ ४।।
शत्रुओं को दुर्दशा में पहुँचा देने वाले अन्न के पालक, निष्परिग्रह, नील देही रुद्र, हमारे प्रजा, पुत्रादि- गौ🐮 आदि पशुओं को भयभीत मत करो, इनको रोग से पीड़ित भी न करो, हमारी प्रजा तथा हम किसी भी प्रकार रोग से ग्रसित न हों। 🙏 (५४)
या ते रुद्र शिवा तनू: शिवा विश्वाहभेषजी। शिवा रुद्रस्य भेषजी तया नो मृड जीवसे। ।।५५।।
हे रुद्र आपका यह स्वरुप जो दिव्य औषधिकारी है, हमारे कष्टों के निवारण के लिये सर्व औषधि💊 बने, इससे हमारे समस्त कष्टों का निवारण हो और हम शक्ति युक्त💪 प्रसन्न😊 रहें। 🙏(५५)
इमागं रुद्राय तवसे कपर्दिने क्षयद्वीराय प्रभरामहे मतिम्। यथा न: शमसद्द्विपदे चतुष्पदे विश्वं पुष्टं ग्रामे अस्मिन्ननातुरम्।। ५६ ।।
हम रुद्र के ज्ञान के प्रति समर्पण करते हैं, उनके केश जटायुक्त हैं, वे शत्रु के संहारक हैं।
उनकी कृपा से हमारे ग्राम के लोग👥 और पशु🐮🐐🐇 पुष्ट हों। रोग रहित हों और उन्नति करें।🙏 ।।५ ६।।
मृडा नो रुद्रोत नो मयस्कृधि क्षयद्वीराय नमसा विधेम ते । यच्छं च योश्च मनुरायजे पिता तदश्याम तव रुद्र प्रणीतौ । ।।५७।।
हे रुद्र हमें आनंदित करते हुये भौतिक और आध्यात्मिक सम्पदा प्रदान करिये। हम आपकी कृपा से वह सब प्राप्त कर लें जो हमारे आदि पुरुष मनु ने प्राप्त किया था, हे पापनाशक हम आपके प्रति समर्पण करते हैं। 🙏(५७)
मा नो महान्तमुत मा नो अर्भकं मा न उक्षन्तमुत मा न उक्षितम्। मा नोऽवधी: पितरं मोत मातरं प्रिया मा नस्तनुवो रुद्ररीरिष: ।। ५८ ।।
हे भगवान रुद्र हमारे बुजुर्गों👴, हमारे युवाओं👦, हमारे शिशुओं हमारे बच्चों👬, गर्भस्थ जीवों, हमारे पिता👨, हमारी माता👩 और हमारे प्रियजनों को कष्ट न हो। 🙏 (५८)
मा नस्तोके तनये मा न आयुषि मा नो गोषु मा नो अश्वेषु रीरिष: । वीरान्मा नो रुद्र भामितोऽवधीर्हविषमन्तो नमसा विधेम ते । । ५९ ।।
हे रुद्र अपने क्रोध में आप हमारे बच्चों को पीड़ा न पहुँचाएँ,हमारे पुत्रों👬,हमारी जीवन धारा,हमारे पशुओं🐴🐐 हमारे अस्त्रों🔫🔪 और हमारे सेवकों को कष्ट न पहुँचाएँ।हम अनुष्ठान पूर्वक आपको नमन करते हैं।🙏(५९)
🍀🌷साई राम🌷🍀
🌟श्रीरुद्रम्-12🌟
🙏नमकम्🙏
अनुवाक-10
द्रापे अन्धसस्पते दरिद्रन्नील लोहित। एषां पुरुषाणामेषां पशूनां मा भेर्माऽरो मो एषां किञ्चनाममत।
।।५ ४।।
शत्रुओं को दुर्दशा में पहुँचा देने वाले अन्न के पालक, निष्परिग्रह, नील देही रुद्र, हमारे प्रजा, पुत्रादि- गौ🐮 आदि पशुओं को भयभीत मत करो, इनको रोग से पीड़ित भी न करो, हमारी प्रजा तथा हम किसी भी प्रकार रोग से ग्रसित न हों। 🙏 (५४)
या ते रुद्र शिवा तनू: शिवा विश्वाहभेषजी। शिवा रुद्रस्य भेषजी तया नो मृड जीवसे। ।।५५।।
हे रुद्र आपका यह स्वरुप जो दिव्य औषधिकारी है, हमारे कष्टों के निवारण के लिये सर्व औषधि💊 बने, इससे हमारे समस्त कष्टों का निवारण हो और हम शक्ति युक्त💪 प्रसन्न😊 रहें। 🙏(५५)
इमागं रुद्राय तवसे कपर्दिने क्षयद्वीराय प्रभरामहे मतिम्। यथा न: शमसद्द्विपदे चतुष्पदे विश्वं पुष्टं ग्रामे अस्मिन्ननातुरम्।। ५६ ।।
हम रुद्र के ज्ञान के प्रति समर्पण करते हैं, उनके केश जटायुक्त हैं, वे शत्रु के संहारक हैं।
उनकी कृपा से हमारे ग्राम के लोग👥 और पशु🐮🐐🐇 पुष्ट हों। रोग रहित हों और उन्नति करें।🙏 ।।५ ६।।
मृडा नो रुद्रोत नो मयस्कृधि क्षयद्वीराय नमसा विधेम ते । यच्छं च योश्च मनुरायजे पिता तदश्याम तव रुद्र प्रणीतौ । ।।५७।।
हे रुद्र हमें आनंदित करते हुये भौतिक और आध्यात्मिक सम्पदा प्रदान करिये। हम आपकी कृपा से वह सब प्राप्त कर लें जो हमारे आदि पुरुष मनु ने प्राप्त किया था, हे पापनाशक हम आपके प्रति समर्पण करते हैं। 🙏(५७)
मा नो महान्तमुत मा नो अर्भकं मा न उक्षन्तमुत मा न उक्षितम्। मा नोऽवधी: पितरं मोत मातरं प्रिया मा नस्तनुवो रुद्ररीरिष: ।। ५८ ।।
हे भगवान रुद्र हमारे बुजुर्गों👴, हमारे युवाओं👦, हमारे शिशुओं हमारे बच्चों👬, गर्भस्थ जीवों, हमारे पिता👨, हमारी माता👩 और हमारे प्रियजनों को कष्ट न हो। 🙏 (५८)
मा नस्तोके तनये मा न आयुषि मा नो गोषु मा नो अश्वेषु रीरिष: । वीरान्मा नो रुद्र भामितोऽवधीर्हविषमन्तो नमसा विधेम ते । । ५९ ।।
हे रुद्र अपने क्रोध में आप हमारे बच्चों को पीड़ा न पहुँचाएँ,हमारे पुत्रों👬,हमारी जीवन धारा,हमारे पशुओं🐴🐐 हमारे अस्त्रों🔫🔪 और हमारे सेवकों को कष्ट न पहुँचाएँ।हम अनुष्ठान पूर्वक आपको नमन करते हैं।🙏(५९)
🍀🌷साई राम🌷🍀
ॐ नमः शिवाय
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