Sri Rudram- 11|Namakam- 9|श्रीरुद्रम्- ११|नमकम् |अनुवाक- ९|हिंदी अर्थ सहित
वेदमंत्र एवम् अर्थ-16
🌹श्रीरुद्रम्-11🌹
🙏नमकम्🙏
अनुवाक-9
नम इरिण्याय च प्रपथ्याय च नम: किगंशिलाय च क्षयणाय च नम: कपर्दिने च पुलस्तये च ।। ४ ।।
उपजाऊ भूमि 🌱🌾और मितव्यय मार्गों में रहने वाले के लिए नमस्कार, पथरीली भूमि और निवास, यज्ञ स्थानों में रहने वाले के लिए नमस्कार, उलझे हुए केश के लिए नमस्कार तथा शीघ्र प्राप्त हो जाने वाले के लिए नमस्कार। 🙏(४९)
नमो गोष्ठ्याय च गृह्याय च नमस्तल्प्याय च गेह्याय च नम: काट्याय च गह्वरेष्ठाय च नमो हृदय्याय च निवेष्प्याय च । ।।५०।।
गोशालाओं🐮 में रहने वाले और घरों में रहने वाले के लिए नमस्कार, झोंपड़ी🏠 और महलों 🏤में रहने वाले के लिए नमस्कार, कंटीली झाड़ी और पर्वत की कंदराओं में रहने वाले के लिए नमस्कार, जल की भंवर और ओस की बून्दों 💦💧में रहने वाले के लिए नमस्कार।🙏(५0)
नम: पागं सव्याय च रजस्याय च नम: शुष्काय च हरित्याय च नमो लोप्याय चोलप्याय च नम ऊर्व्याय च सूर्म्याय च ।।५१।।
परमाणु✨ और धूल में रहने वाले के लिए नमस्कार, सूखे काष्ठ आदि में विराजमान तथा हरे पत्ते 🌿आदि में विद्यमान के लिए नमस्कार, शुष्क स्थान में रहने वाले तथा हरित घास 🌾में रहने वाले के लिए नमस्कार, भूमि और बड़वानल 🔥में रहनेवाले तथा महाप्रलय की अग्रि 🔥में विराजमान के लिए नमस्कार।🙏( ५१)
नम: पर्ण्याय च पर्णशद्याय च नमोऽपगुरमाणाय चाभिघ्नते च नम आख्खिदते च प्रख्खिदते च ।।५ २ ।।
पर्ण 🌱में विद्यमान और पर्ण में उत्पन्न कीट 🐛आदि में उत्पन्न के लिए नमस्कार, निरंतर उद्यमी, उत्पन्न करने वाले तथा शत्रु का संहार करने वाले को नमस्कार, अभक्तों को
सर्वदा दुःख देने वाले तथा त्रिविध 3⃣पाप से उत्पन्न पापियों को अत्यंत दुःख देने वाले को नमस्कार । 🙏 ।।५ २।।
नमो व: किरिकेभ्यो देवानागं हृदयेभ्यो नमो विक्षीणकेभ्यो नमो विचिन्वत्केभ्यो नम आनिर्हतेभ्यो नम आमीवत्केभ्य: ।।५३ ।।
देवताओं के हृदयस्थल भृष्ट आदि के द्वारा जगत का सृजन करने वाले रुद्र के लिये नमस्कार; धर्मात्मा व पापात्मा को पृथक-पृथक करने वाले के लिये नमस्कार, शत्रुओं को परास्त कर उन्हें निश्चित दण्ड देने वाले आपको नमस्कार।🙏।।५ ३।।
🍁🌱साई राम🌱🍁
🌹श्रीरुद्रम्-11🌹
🙏नमकम्🙏
अनुवाक-9
नम इरिण्याय च प्रपथ्याय च नम: किगंशिलाय च क्षयणाय च नम: कपर्दिने च पुलस्तये च ।। ४ ।।
उपजाऊ भूमि 🌱🌾और मितव्यय मार्गों में रहने वाले के लिए नमस्कार, पथरीली भूमि और निवास, यज्ञ स्थानों में रहने वाले के लिए नमस्कार, उलझे हुए केश के लिए नमस्कार तथा शीघ्र प्राप्त हो जाने वाले के लिए नमस्कार। 🙏(४९)
नमो गोष्ठ्याय च गृह्याय च नमस्तल्प्याय च गेह्याय च नम: काट्याय च गह्वरेष्ठाय च नमो हृदय्याय च निवेष्प्याय च । ।।५०।।
गोशालाओं🐮 में रहने वाले और घरों में रहने वाले के लिए नमस्कार, झोंपड़ी🏠 और महलों 🏤में रहने वाले के लिए नमस्कार, कंटीली झाड़ी और पर्वत की कंदराओं में रहने वाले के लिए नमस्कार, जल की भंवर और ओस की बून्दों 💦💧में रहने वाले के लिए नमस्कार।🙏(५0)
नम: पागं सव्याय च रजस्याय च नम: शुष्काय च हरित्याय च नमो लोप्याय चोलप्याय च नम ऊर्व्याय च सूर्म्याय च ।।५१।।
परमाणु✨ और धूल में रहने वाले के लिए नमस्कार, सूखे काष्ठ आदि में विराजमान तथा हरे पत्ते 🌿आदि में विद्यमान के लिए नमस्कार, शुष्क स्थान में रहने वाले तथा हरित घास 🌾में रहने वाले के लिए नमस्कार, भूमि और बड़वानल 🔥में रहनेवाले तथा महाप्रलय की अग्रि 🔥में विराजमान के लिए नमस्कार।🙏( ५१)
नम: पर्ण्याय च पर्णशद्याय च नमोऽपगुरमाणाय चाभिघ्नते च नम आख्खिदते च प्रख्खिदते च ।।५ २ ।।
पर्ण 🌱में विद्यमान और पर्ण में उत्पन्न कीट 🐛आदि में उत्पन्न के लिए नमस्कार, निरंतर उद्यमी, उत्पन्न करने वाले तथा शत्रु का संहार करने वाले को नमस्कार, अभक्तों को
सर्वदा दुःख देने वाले तथा त्रिविध 3⃣पाप से उत्पन्न पापियों को अत्यंत दुःख देने वाले को नमस्कार । 🙏 ।।५ २।।
नमो व: किरिकेभ्यो देवानागं हृदयेभ्यो नमो विक्षीणकेभ्यो नमो विचिन्वत्केभ्यो नम आनिर्हतेभ्यो नम आमीवत्केभ्य: ।।५३ ।।
देवताओं के हृदयस्थल भृष्ट आदि के द्वारा जगत का सृजन करने वाले रुद्र के लिये नमस्कार; धर्मात्मा व पापात्मा को पृथक-पृथक करने वाले के लिये नमस्कार, शत्रुओं को परास्त कर उन्हें निश्चित दण्ड देने वाले आपको नमस्कार।🙏।।५ ३।।
🍁🌱साई राम🌱🍁
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