Sri Rudram- 13|Namakam- 10| with meaning in Hindi |श्रीरुद्रम्- १३|नमकम् अनुवाक १०|हिंदी अर्थ सहित
वेदमंत्र एवम् अर्थ-18
🌹श्रीरुद्रम्-13🌹
अनुवाक-10
आरात्ते गोघ्न उत पूरुषघ्ने क्षयद्वीराय सुम्नमस्मे ते अस्तु । रक्षा च नो अधि च देव ब्रूह्यधा च न: शर्म यच्छ द्विबर्हा:। ।।६०।।
हे देवता आपका उत्तर रूप जो दुर्जनों का संहारक है, हमारे निकट रहे, हमारी रक्षा करे। हमारा परिरक्षण करें और हमारे ऊपर ऐसी कृपा करें कि हमें सांसारिक वैभव और आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त हो। 🙏(६0)
स्तुहि श्रुतं गर्तसदं युवानं मृगन्न भीममुपहत्नुमुग्रम्। मृडा जरित्रे रुद्र स्तवानो अन्यन्ते अस्मन्निवपन्तु सेना: । ।६१ । ।
हम उस ख्याति लब्ध की प्रशंसा करते हैं जो हमारे हृदय में रहता है, जो सिंह के समान तेजस्वी है, जो संहारक है तथा जो परम श्रेष्ठ है।हे भगवान रुद्र, हमारी प्रार्थना हैं कि जीवों को आनन्द प्रदान करें। आपकी शक्ति दुष्टों का शमन करे। 🙏 (६१)
परिणो रुद्रस्य हेतिर्वृणक्तु परि त्वेषस्य दुर्मति रघायो: । अव स्थिरा मघवद्भ्यस्तनुष्व मीढ्वस्तोकाय तनयाय मृडय ।।६२।।
हम भगवान रुद्र की आराधना करते हैं, उनके शस्त्र पापियों का क्रोध से दहन करते हैं और उन्हें हमसे दूर रखते हैं। हे वरदायक, हम आपको प्रणाम करते हैं। आप अपने शस्त्रों को हमसे दूर रखिये और हमारे बच्चों को आनन्द प्रदान करिये।🙏 (६२)
मीढुष्टम शिवतम शिवो न: सुमना भव। परमे वृक्ष आयुधन्निधाय कृत्तिं वसान आचर पिनाकं बिभ्रदागहि।। ६३ ।।
हे रुद्र आप भक्तों की इच्छा पूर्ण करते हैं, हे कल्याणतम हमारे लिये करुणायुक्त हों।आप अपने अस्त्रों को बरगद 🌳के पेड़ के नीचे छोडकर हमारे पास पधारें, आपके हाथ में धनुष हो और आप मृग चर्म धारण किये हों।🙏(६३)
विकिरिद विलोहित नमस्ते अस्तु भगव:। यास्ते सहस्त्रगं हेतयोन्यमस्मन्निवपन्तु ता: ।। ६४ ।।
हे अनेक उपद्रवों का नाश करने वाले, हे शुद्ध स्वरूप हे ऐश्वर्य स्वरूप रुद्र, तुम्हारे लिए नमस्कार है। तुम्हारे जो सहस्रों शस्त्र हैं वे हमको छोड़कर और कहीं किन्ही उपद्रवियों पर पड़ें।🙏(६४)
सहस्राणि सहस्रधा बाहुवोस्तव हेतयः । तासामीशानो भगवः पराचीना मुखा कृधि। ।।६५।।
हे भगवान ऐश्वर्य संपन्न रुद्र ! तुम्हारी भुजाओं में बहुत प्रकार के सहस्रों खड्ग आदि आयुध(हथियार) हैं। हे जगत के स्वामी, तुम उन संहारकारी आयुधों के मुख हमसे दूर कर दीजिए।🙏 (६५)
🌾🌟साई राम🌟🌾
🌹श्रीरुद्रम्-13🌹
अनुवाक-10
आरात्ते गोघ्न उत पूरुषघ्ने क्षयद्वीराय सुम्नमस्मे ते अस्तु । रक्षा च नो अधि च देव ब्रूह्यधा च न: शर्म यच्छ द्विबर्हा:। ।।६०।।
हे देवता आपका उत्तर रूप जो दुर्जनों का संहारक है, हमारे निकट रहे, हमारी रक्षा करे। हमारा परिरक्षण करें और हमारे ऊपर ऐसी कृपा करें कि हमें सांसारिक वैभव और आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त हो। 🙏(६0)
स्तुहि श्रुतं गर्तसदं युवानं मृगन्न भीममुपहत्नुमुग्रम्। मृडा जरित्रे रुद्र स्तवानो अन्यन्ते अस्मन्निवपन्तु सेना: । ।६१ । ।
हम उस ख्याति लब्ध की प्रशंसा करते हैं जो हमारे हृदय में रहता है, जो सिंह के समान तेजस्वी है, जो संहारक है तथा जो परम श्रेष्ठ है।हे भगवान रुद्र, हमारी प्रार्थना हैं कि जीवों को आनन्द प्रदान करें। आपकी शक्ति दुष्टों का शमन करे। 🙏 (६१)
परिणो रुद्रस्य हेतिर्वृणक्तु परि त्वेषस्य दुर्मति रघायो: । अव स्थिरा मघवद्भ्यस्तनुष्व मीढ्वस्तोकाय तनयाय मृडय ।।६२।।
हम भगवान रुद्र की आराधना करते हैं, उनके शस्त्र पापियों का क्रोध से दहन करते हैं और उन्हें हमसे दूर रखते हैं। हे वरदायक, हम आपको प्रणाम करते हैं। आप अपने शस्त्रों को हमसे दूर रखिये और हमारे बच्चों को आनन्द प्रदान करिये।🙏 (६२)
मीढुष्टम शिवतम शिवो न: सुमना भव। परमे वृक्ष आयुधन्निधाय कृत्तिं वसान आचर पिनाकं बिभ्रदागहि।। ६३ ।।
हे रुद्र आप भक्तों की इच्छा पूर्ण करते हैं, हे कल्याणतम हमारे लिये करुणायुक्त हों।आप अपने अस्त्रों को बरगद 🌳के पेड़ के नीचे छोडकर हमारे पास पधारें, आपके हाथ में धनुष हो और आप मृग चर्म धारण किये हों।🙏(६३)
विकिरिद विलोहित नमस्ते अस्तु भगव:। यास्ते सहस्त्रगं हेतयोन्यमस्मन्निवपन्तु ता: ।। ६४ ।।
हे अनेक उपद्रवों का नाश करने वाले, हे शुद्ध स्वरूप हे ऐश्वर्य स्वरूप रुद्र, तुम्हारे लिए नमस्कार है। तुम्हारे जो सहस्रों शस्त्र हैं वे हमको छोड़कर और कहीं किन्ही उपद्रवियों पर पड़ें।🙏(६४)
सहस्राणि सहस्रधा बाहुवोस्तव हेतयः । तासामीशानो भगवः पराचीना मुखा कृधि। ।।६५।।
हे भगवान ऐश्वर्य संपन्न रुद्र ! तुम्हारी भुजाओं में बहुत प्रकार के सहस्रों खड्ग आदि आयुध(हथियार) हैं। हे जगत के स्वामी, तुम उन संहारकारी आयुधों के मुख हमसे दूर कर दीजिए।🙏 (६५)
🌾🌟साई राम🌟🌾
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