Sri Rudram- 3 | Namakam | श्रीरुद्रम् -३| नमकम् | हिंदी अर्थ सहित
वेदमंत्र एवम् अर्थ-8
🌺श्री रुद्रम्-3🌺
🙏 नमकम् अनुवाक-1🙏
प्रमुञ्च धन्वनस्त्वमुभयोरार्त्नि योर्ज्याम्।याश्च ते हस्त इषवः परा ता भगवो वप।।11।।
हे ऐश्वर्य सम्पन्न रुद्र अपने धनुष की दोनों कोटियों में स्थित ज्या(डोरी) को तुम दूर कर लो और जो तुम्हारे हाथ में बाण है उनको दूर करलो।(११)
अवतत्य धनुस्त्वगुंसहस्राक्ष शतेषुधे । निशीर्य-शल्यानां मुखा शिवो न: सुमना भव। ।।१२।।
हे हजारों नेत्रों वाले, हे सहस्रों तरकशों वाले रुद्र तुम धनुष को ज्या रहित करके और बाणों के फालों को निकाल करके हमारे लिए कल्याणकारी व शोभनचित वाले हो जाओ।(१२)
विज्यं धनु: कपर्दिनो विशल्यो बाणवागं उत अनेशन्नस्येशव आभुरस्यनिषंगथि: ।। 1 ३ ।।
जटाधारी वीर रुद्र का धनुष, ज्या और तरकश बाणों से शून्य हो। इस देवता के जो बाण हैं वे हमें न दिखें। इनके खड्ग रखने का कोष खाली हो।(१३)
या ते हेतिर्मीढुष्टम हस्ते बभूव ते धनु: । तयाऽस्मान् विश्वतस्त्वमयक्ष्मया परिब्भुज ।।१४ ।।
हे सुख का सिंचन करने वाले रुद्र तुम्हारे हाथ में जो हथियार हैं, तुम्हारे हाथ में जो धनुष है, इस उपद्रव रहित शस्त्र से तुम सब ओर से हमारा पालन करो । (14)
नमस्ते अस्त्वायुधायानातताय धृष्णवे । उभाभ्यामुत ते नमो बाहुभ्यां तव धन्वने ।।1 ५ ।।
हे रुद्र तुम्हारे धनुष पर न चढ़ाए बाण के लिये नमस्कार। तुम्हारे दोनों बाजुओं के लिए और तुम्हारे शत्रु को पराजय करने में समर्थ धनुष के लिए मेरा नमस्कार। (१५)
परि ते धन्वनो हेतिरस्मान्वृणक्तु विश्वत: । अथो य इषुधिस्तवारे अस्मन्निधेहि तम्।। १६ ।।
हे रुद्र तुम्हारे धनुष और बाण आदि तो आयुध हैं, वे सब और से हमारी रक्षा करें और जो तुम्हारा तरकश है, उसको हमसे दूर स्थापित करें ।(१६)
नमस्ते अस्तु भगवन्विश्वेश्वराय महादेवाय त्र्यम्बकाय त्रिपुरान्तकाय त्रिकाग्निकालाय कालाग्निरुद्राय नीलकण्ठाय मृत्युञ्जयाय सर्वेश्वराय सदाशिवाय श्रीमन्महादेवाय नम: । । १ ७ ।।
भगवान विश्वेश्वर को नमस्कार🙏 हे,महादेव,त्र्यंबक, त्रिपुरान्तक, त्रिकाग्निकाल, कालाग्निरुद्र, नीलकंठ, मृत्युञ्जय, सर्वेश्वर, सदाशिव, श्रीमान् महादेव को हम नमस्कार 🙏करते हैं (१ ७)
🍃🌻🍃🌸🍃🌻🍃
🌺श्री रुद्रम्-3🌺
🙏 नमकम् अनुवाक-1🙏
प्रमुञ्च धन्वनस्त्वमुभयोरार्त्नि योर्ज्याम्।याश्च ते हस्त इषवः परा ता भगवो वप।।11।।
हे ऐश्वर्य सम्पन्न रुद्र अपने धनुष की दोनों कोटियों में स्थित ज्या(डोरी) को तुम दूर कर लो और जो तुम्हारे हाथ में बाण है उनको दूर करलो।(११)
अवतत्य धनुस्त्वगुंसहस्राक्ष शतेषुधे । निशीर्य-शल्यानां मुखा शिवो न: सुमना भव। ।।१२।।
हे हजारों नेत्रों वाले, हे सहस्रों तरकशों वाले रुद्र तुम धनुष को ज्या रहित करके और बाणों के फालों को निकाल करके हमारे लिए कल्याणकारी व शोभनचित वाले हो जाओ।(१२)
विज्यं धनु: कपर्दिनो विशल्यो बाणवागं उत अनेशन्नस्येशव आभुरस्यनिषंगथि: ।। 1 ३ ।।
जटाधारी वीर रुद्र का धनुष, ज्या और तरकश बाणों से शून्य हो। इस देवता के जो बाण हैं वे हमें न दिखें। इनके खड्ग रखने का कोष खाली हो।(१३)
या ते हेतिर्मीढुष्टम हस्ते बभूव ते धनु: । तयाऽस्मान् विश्वतस्त्वमयक्ष्मया परिब्भुज ।।१४ ।।
हे सुख का सिंचन करने वाले रुद्र तुम्हारे हाथ में जो हथियार हैं, तुम्हारे हाथ में जो धनुष है, इस उपद्रव रहित शस्त्र से तुम सब ओर से हमारा पालन करो । (14)
नमस्ते अस्त्वायुधायानातताय धृष्णवे । उभाभ्यामुत ते नमो बाहुभ्यां तव धन्वने ।।1 ५ ।।
हे रुद्र तुम्हारे धनुष पर न चढ़ाए बाण के लिये नमस्कार। तुम्हारे दोनों बाजुओं के लिए और तुम्हारे शत्रु को पराजय करने में समर्थ धनुष के लिए मेरा नमस्कार। (१५)
परि ते धन्वनो हेतिरस्मान्वृणक्तु विश्वत: । अथो य इषुधिस्तवारे अस्मन्निधेहि तम्।। १६ ।।
हे रुद्र तुम्हारे धनुष और बाण आदि तो आयुध हैं, वे सब और से हमारी रक्षा करें और जो तुम्हारा तरकश है, उसको हमसे दूर स्थापित करें ।(१६)
नमस्ते अस्तु भगवन्विश्वेश्वराय महादेवाय त्र्यम्बकाय त्रिपुरान्तकाय त्रिकाग्निकालाय कालाग्निरुद्राय नीलकण्ठाय मृत्युञ्जयाय सर्वेश्वराय सदाशिवाय श्रीमन्महादेवाय नम: । । १ ७ ।।
भगवान विश्वेश्वर को नमस्कार🙏 हे,महादेव,त्र्यंबक, त्रिपुरान्तक, त्रिकाग्निकाल, कालाग्निरुद्र, नीलकंठ, मृत्युञ्जय, सर्वेश्वर, सदाशिव, श्रीमान् महादेव को हम नमस्कार 🙏करते हैं (१ ७)
🍃🌻🍃🌸🍃🌻🍃
ॐ नमः शिवाय ।
ReplyDelete