श्री सत्य साई भजन मार्गदर्शिका - 5|| Guidelines for Sai Bhajan- 5
5. आगे बढ़ना
भगवान बाबा ने अपने अवतारिक संदेश में हमारे युग में नामस्मरण को साधना के रूप में अपनाने की आवश्यकता, प्रभाव और विधियों पर बल दिया है।
अब उनके प्रभावी उपकरण होते हुए हमारी न केवल भूमिका है वरन् न केवल नाम स्मरण के माध्यम के अनुपालन का, अपितु साईभजन को अपने समाज में फैलाने का उत्तरदायित्व भी है।
भगवान ने सदैव इनके आपसी संबंध और पारस्परिक निर्भरता पर जोर दिया है :
व्यष्टि--> समष्टि--> सृष्टि--> परमेष्टि
नाम संकीर्तन पर दिशा निर्देशों के उपरोक्त सभी बिंदु देशभर के साई केंद्रों में अनुपालन की सर्वस्वीकृत विधि निर्धारित करने के लिए हैं।
साई भजन गाने और दोहराने में सरल है हमारे भजन संप्रदाय निरपेक्ष हैं एवं विश्व के सभी धर्मों को शामिल करते हैं।
नाम संकीर्तन से जो लाभ हम अनुभव करते हैं उन्हें समाज के साथ साझा करना चाहिए।
हमें समाज के कल्याण को ध्यान में रखते हुए साई भजन को एक नए आयाम से देखने की आवश्यकता है।
ऐसे समय पर जब प्रकृति के सभी तत्व प्रदूषित हैं, जब मनुष्य की सोच नकारात्मक प्रवृतियों से प्रदूषित हो गई है, जब हमारी इन्द्रियाँ मीडिया हस्तक्षेपों के असंगत आक्रमण से बोझिल हैं और घसीटी जा रही हैं, जब हम जिस माहौल में रह रहे हैं वह विचित्र जीवन शैली से विकृत हो चुका है, उसका उपचार केवल यही है कि हमें नाम संकीर्तन को फैलाने के अपने भगवान के निर्देशों पर चलकर एक सक्रिय आंदोलन के रूप में समाज के सभी वर्गों तक फैलाना है।
5.1. साई भजन आन्दोलन का विस्तार
निम्नलिखित वह सन्निकट मार्ग है जहां हम इस आंदोलन को ले जा सकते हैं :
🔹 मंदिर एवं धार्मिक केंद्र :
मंदिर, गिरजाघर, यहूदी उपासना गृह, मस्जिद यह सभी धार्मिक केंद्र हैं, जहां पर शांति और इच्छा पूर्ति के लिए भक्तों की भीड़ होती है। यह वह केंद्र हैं जहां से मानवीय मूल्य एवं मानव जाति के लिए आदेश उद्भूत होते हैं। क्योंकि साई भजन पूर्णतः संप्रदाय निरपेक्ष हैं, उपरोक्त सभी केंद्रों में एक योजनाबद्ध ढंग से हम भजन सत्र आयोजित कर सकते हैं। जिसमें अनिवार्यतः सर्वधर्म भजन गाए जाएं और धर्मों की एकता के भगवान के संदेश का प्रसार किया जाए।
🔹 अस्पताल :
यह वह केंद्र हैं जहां रोगी एवं उनके नजदीकी संबंधी और मित्रों दोनों को बहुत तनाव एवं दबाव से गुजरना पड़ता है। सरल और आरामदायक धुनों एवं मधुरता के साथ सही ढंग से आयोजित किए गए भजन आगंतुकों एवं अस्पताल के स्टाफ के लिए एक उत्कृष्ट तनाव मोचक का कार्य करते हैं।
🔹 कारागार /बाल सुधार गृह /वृद्ध आश्रम :
यह परिस्थितियों के शिकार एवं बदलाव की प्रक्रिया से गुजरने वाले व्यक्तियों के केंद्र होते हैं। साई भजन उन्हें ऊपर की ओर देखने और जीवन को चुनौती के रूप में स्वीकारने हेतु आवश्यक आशा एवं विश्वास प्रदान कर सकते हैं। भगवान का संदेश भी कैदियों के साथ साझा करना जरूरी है, क्योंकि यह उन्हें पर्याप्त आत्मविश्वास एवं साहस प्रदान करेगा।
🔹 विशाल इमारतें (Apartments)/ कालोनियां :
प्रत्येक बड़े कस्बे या शहर में विशाल आवासीय इमारतें बहुत तेजी से बढ़ रही हैं। आज की जीवनशैली में परिवर्तन हुआ है जिससे व्यक्तिगत घर/ बस्ती के स्थान पर अधिकांश मकान अपार्टमेंट और कालोनियों में स्थित हो रहे हैं। एक अपार्टमेंट नाम संकीर्तन के लिए अच्छा स्थान है और हमने पाया है कि वहां सदैव भजन सत्र का प्लवन प्रभाव होता है और हमें अपार्टमेंट में भजन करने के अधिक अनुरोध प्राप्त हो सकते हैं। यहां तक कि इन अपार्टमेंट में हम भजन मंडली भी प्रारंभ कर सकते हैं।
🔹 शैक्षणिक संस्थान :
हमारे भगवान ने सदैव विद्यार्थियों के चारित्रिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। शैक्षणिक संस्थान, जहां पर चारित्रिक विकास को बढ़ावा देने और पोषण की आवश्यकता है, दुर्भाग्यवश फैशन, मित्रता और मिथ्या मूल्यों का केंद्र बन गए हैं। अनुशासन या मानवीय मूल्यों का अभ्यास अब दुर्लभ हो गया है। साई आंदोलन के दूत के रुप में अधिकांश शैक्षणिक संस्थाओं में साई भजन और मानवीय मूल्य कार्यक्रमों को अनिवार्य रूप में लेने की आवश्यकता है।
🔹 कारखाने /निगम गृह (Corporate House) :
यह व्यावसायिक गृह हैं, जहां पर कर्मचारी वर्ग एवं प्रबंधक वर्ग दोनों में भारी तनाव का अनुभव किया जाता है, और जहां प्रदर्शन के लिए दबाव ही 'मंत्र' है, उस कारपोरेट दबाव (तनाव) को कम करने के लिए अनेक मार्ग खोजे जाते हैं। साई भजन कर्मचारियों के लिए एक अच्छा तनाव मोचक साबित हो सकते हैं, और उन्हें आंतरिक शक्ति से भर सकते हैं, जो कि एकता, पवित्रता एवं दिव्यता को बढ़ावा देने में उत्प्रेरक का कार्य करता है।
🔹 श्री सत्य साई ग्राम एकीकृत कार्यक्रम अंतर्गत ग्राम (SSSVIP Villages) :
ग्राम एवं ग्राम वासियों के लिए भगवान का प्रेम अवर्णनीय है। उन्होंने सदैव यह उल्लेख किया है कि यदि अभी भी हमारी संस्कृति देश में विद्यमान है, तो वह ग्राम और ग्राम वासियों के मध्य है। परंतु राजनैतिक प्रभाव एवं स्थानीय दबाव, ग्रामीणों से इन पारंपरिक मूल्यों को बहुत तेजी से नष्ट कर रहे हैं। भगवान का श्री सत्य साईं ग्राम एकीकृत कार्यक्रम (SSSVIP) आन्दोलन सक्रियता से अपने अच्छे कार्यों का देशभर में विस्तार कर रहा है। साई आंदोलन के लिए यह दत्तक ग्राम हमारे केंद्र बन सकते हैं।
हमें गांव के युवाओं बच्चों महिलाओं और बुजुर्गों तक को एक सुनियोजित ढंग से नाम संकीर्तन की इस साधना को अपनाने के लिए प्रेरित करना और शामिल करने की आवश्यकता है ताकि जैसा भगवान ने प्रतिपादित किया है कि हमारे देश का भविष्य माननीय मूल्यों के साथ सुरक्षित है।
5.2. नए गायक शामिल करना
*5.2.1. बाल विकास*
🔹आज के बाल विकास के विद्यार्थी ही भविष्य में संगठन के युवा व सक्रिय सदस्य होंगे। बाल विकास के विद्यार्थियों में से अच्छी गायकों को पहचान कर उन्हें भजन गाने के लिए विशेष अभ्यास सत्र में प्रशिक्षण देना चाहिए।
🔹इन चयनित बाल विकास विद्यार्थियों को साई केंद्रों में भजन गाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
🔹आदर्श रुप से केवल बाल विकास के लिए एक विशिष्ट दिन निर्धारित कर देना चाहिए ताकि इन बच्चों को महीने में कम से कम एक बार गाने का अवसर मिल सके।
🔹बाल विकास के बच्चों एवं युवाओं को प्रेरित करने के लिए और भजन गायन में सुधार और उत्कृष्टता लाने के लिए भजनों पर नियमित प्रतियोगिताएं आयोजित करनी चाहिए।
🔹प्रतिभाशाली बाल विकास के बच्चों और युवाओं को भजन सत्र में गायन का पर्याप्त अवसर देकर उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए।
*5.2.2.युवा एवं आकांक्षी गायकों के लिए स्वर परीक्षण (ऑडिशंस) आयोजित करना*
समिति एवं पूर्व सेवादल (पूर्व बाल विकास) के युवाओं को समिति में भजन गायन के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है, और नए गायकों को सम्मिलित करने के लिए एक स्वर परीक्षण (ऑडिशन) का आयोजन किया जा सकता है।
*5.2.3. भजन/भक्ति संगीत प्रतियोगिताओं से प्रतिभा की खोज*
🔹प्रदर्शनियों के द्वारा जागरूकता एवं रुचि उत्पन्न करना।
🔹अच्छे गायकों की पहचान के लिए समितियां कॉलेज के विद्यार्थियों के बीच भक्ति संगीत प्रतियोगिता का आयोजन कर सकती हैं, जिन्हें बाद में जागरूकता शिविर या भजन प्रदर्शनी/प्रशिक्षण सत्र में उनकी भागीदारी के द्वारा अग्र भजन गायक के रुप में विकसित किया जा सके।
Comments
Post a Comment