श्री सत्य साई भजन मार्गदर्शिका- 4|| Guidelines for Sai Bhajan- 4
4. भजन प्रशिक्षण
भगवान ने सदा ही भजन गाने से पूर्व अभ्यास पर जोर दिया है। निरंतर अभ्यास से न केवल गायक में आत्मविश्वास बढ़ता है बल्कि यह गायक को भक्ति के ऊंचे स्तर तक ले जाता है, जहां पर भजन गाते समय छुपा हुआ भाव प्रकट होता है।
इस गुणवत्ता के स्तर तक पहुंचने के लिए नियमितता और निरंतरता के आधार पर भजन प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने चाहिए।
भजन प्रशिक्षण सत्र निम्न क्षेत्रों पर ध्यान देंगे :
🔹परिचित भजनों को सही श्रुति, तर्ज, उतार चढ़ाव, ताल आदि के साथ गाना।
🔹नए भजनों का परिचय
🔹स्वर संस्कार की जानकारी देना।
🔹संगीत की आधारभूत बातों का ज्ञान कराना। साई भजन में प्रचलित रागों का परिचय।
🔹आवाज एवं कुशलता के अनुसार भजन का चयन करना। यह पहचान करना कि भजन एकल गाया जाए या युग्म में गाया जाए।
🔹प्रत्येक भजन के अर्थ पर विचार विमर्श।
🔹भजन के बोलों से जुड़ी घटनाओं पर चिंतन, ताकि गायक इस बारे में जागरूक हो कि वह क्या गा रहा है।
🔹मधुर एवं धीमी गति के भजनों का उतार चढ़ाव के साथ गाने का अभ्यास
🔹जैसा "भजन गायक की भूमिका और उत्तरदायित्व" विभाग में उल्लेख किया गया है, भजन गायक की भूमिका की आवश्यकतानुसार अपने व्यक्तित्व के अनुकूलन के बारे में जानकारी देना।
🔹सुप्रभातम्, ॐ तत्सत्, आरती, परम पवित्रं, साई गायत्री आदि के गायन में एकरूपता।
🔹भजन गायकों के लिए भगवान के निर्देशन एवं मार्गदर्शन को साझा करना, चाहे व्यक्तिगत या सामूहिक रुप से और उनकी शिक्षाओं का अभ्यास करना।
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