श्री सत्य साई भजन मार्गदर्शिका - 2.9 || Guidelines for Sai Bhajan- 2.9

     


2.9. अखण्ड भजन के लिए दिशा निर्देश

संपूर्ण भारतवर्ष के साई समितियां सामान्यतया 1 वर्ष में दो बार अखंड भजन का आयोजन करती है, वह है शिवरात्रि की रात में और वैश्विक अखंड भजन के अवसर पर भगवान के जन्मदिवस के पहले, नवंबर के द्वितीय सप्ताहांत पर ।
यह भावपूर्ण भजनों को गाने का एक श्रेष्ठ अवसर है, क्योंकि अखंड भजन या तो 12 घंटे या 24 घंटे के लिए आयोजित किए जाते हैं, तो यह संभाव्य है कि इस नाम संकीर्तन की साधना में अधिक भक्त भाग लेते हैं।
इसके लिए विशेष व्यवस्थाओं की और भागीदारों के बीच अनुशासन की आवश्यकता है, और भजन गायन में उच्च स्तर बनाए रखना भी आवश्यक है।

1. अखंड भजन का स्थान पर्याप्त रूप में विस्तृत होना चाहिए जिससे उसमें आने जाने वाले और बैठने वाले भक्तों की भीड़ समा सके।
2  इस विशेष कार्यक्रम के लिए पर्याप्त सूचना,उद्घोषणाएं/ प्रचार किया जा सकता है और यदि आवश्यकता है तो सभी नजदीकी शिक्षण संस्थाओं कार्यालयों और आवासों को निमंत्रण दिए जा सकते हैं, जिससे जनता के प्रतिनिधि नाम संकीर्तन के आनंद में साझीदार हो सकते हैं।
2. आध्यात्मिक/ भजन समन्वयक द्वारा अखंड भजन से पहले विशेष भजन प्रशिक्षण/अभ्यास सत्र का आयोजन किया जाना चाहिए, जिससे श्रेष्ठ गुणवत्ता युक्त बेहतरीन भजन गए जा सकें।
4. एक बेहतर सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली (P. A. System) का होना आवश्यक है और साथ ही एक प्रशिक्षित सेवादल जो पूरे समय इसका नियमन कर सके।
5. गायकों के लिए सभी आवश्यक संगीत उपकरण उपलब्ध कराने आवश्यक हैं।
6. भगवान की विधि फूलों से सजाना चाहिए, जिससे वह अधिक समय तक सुरक्षित रह सके, क्योंकि फिर भजन सत्र के समापन तक मालाओं को बदला नहीं जा सकता।
6. वेदी के निकट एक सर्व धर्म चिन्ह रखा जाना चाहिए जो की भजन सत्र कि सर्वधर्म समभाव की सुवास को वर्णित कर सके।
8. वेदी में सभी वस्तुएं जैसे आरती की थाली, कपूर, घंटी, माचिस, दीपकों के लिए तेल, अगरबत्तियां, विभूति पैकेट आदि पहले से ही उपलब्ध (रख) लेनी चाहिए।
9. अच्छे कालीन/ दरी को मध्य से विभाजित करके पुरुष एवं महिला गायकों के क्षेत्र को चिह्नित करते हुए बिछाना चाहिए।
10. बच्चों को उनके माता पिता द्वारा संभाला जाना चाहिए और उन्हें खेलने/ दौड़ने/ शोर मचाने की अनुमति भजन सत्र के दौरान नहीं देनी चाहिए।
11. सभी मोबाइल फोन यदि बन्द ना हो सके तो कम से कम मौन स्थिति(silent mode) पर अवश्य रखने चाहिए।
12. कोई भी भक्त/ पदाधिकारी वेदी के समीप ना जाए या बिना किसी कारण के इधर उधर ना घूमें, क्योंकि सभा का मुख्य उद्देश्य केवल नाम स्मरण है।
13. सभी भक्तों को बातचीत/ विचार-विमर्श, अनुभव साझा करने में इस समय को व्यर्थ करने के स्थान पर भजन की पवित्र गतिविधि में लगे रहना चाहिए।
14. भक्तों के लिए विशेष रूप से अग्र गायकों के लिए पानी की बोतलों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
15. वरिष्ठ/ वृद्ध भक्तों के लिए कुर्सियों का प्रबंध होना चाहिए, परंतु उन्हें हाल में पीछे की ओर या पार्श्व में रखना चाहिए।
16. पर्याप्त प्रकाश एवं वायु प्रवाह का प्रबंध होना चाहिए और यदि स्थान के अनुसार आवश्यकता हो तो बैटरी पावर बैकअप /जनरेटर का भी प्रबंध किया जाना चाहिए।
17. भजनों पर भगवान के वाक्यों के बैनर या पोस्टर उनके संदेश को फैलाने के लिए भजन स्थल पर प्रदर्शित किए जा सकते हैं।
18. वहां पर साई साहित्य के विक्रय हेतु विक्रय फलक (counter) होना चाहिए।
19. भजन में आने वाले भक्तों के लिए उचित समय के अंतराल पर जलपान अल्पाहार की व्यवस्था करनी चाहिए, क्योंकि भजन सत्र लंबी अवधि के होते हैं।

  अखंड भजन सत्र आयोजित करने की विधि

1- भजन संयोजक एवं अग्र  गायकों को अग्रिम रूप से भजन स्थल पर एकत्रित हो जाना चाहिए।
2-  प्रत्येक गायक को कम से कम पांच भजनों की सूची तत्संबंधित श्रुतियों के साथ देनी चाहिए।
3-  क्योंकि भजन सत्र विस्तृत अवधि के लिए होंगे, जिले या अंचल की सभी इकाइयों को उनकी बारी के लिए निर्धारित समयावधि देनी चाहिए और समिति संयोजकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गायक तैयार रहें।
4-  भजनों की पुनरावृत्ति से बचने के लिए पुरुष एवं महिलाओं द्वारा अभ्यास किए गए भजनों की सूची की अदला-बदली की जा सकती है।
5- एक सामान्य भजन की स्वीकृत विधि का पालन अखंड भजन में भी किया जा सकता है।
6-  अखंड भजन के प्रारंभिक एवं समापन के 2 घंटे के भजन केवल चुने हुए/प्रशिक्षित गायक ही गाएं। इस अवधि के दौरान भजनों की गुणवत्ता सर्वोत्तम होनी चाहिए।
7-  केवल बाल विकास के बच्चों के लिए भी एक निर्धारित समय देना चाहिए।
8-  भजन संयोजक को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि भजन सत्र की संपूर्ण अवधि के लिए पर्याप्त गायक उपलब्ध रहें और अपनी बारी पर क्रमानुसार वापिस आते रहें।
9-  इसी प्रकार संयोजक यह भी सुनिश्चित करें की अखंड भजन सत्र की संपूर्ण अवधि में पर्याप्त तबलावादक उपस्थित रहें।
10-मध्य रात्रि के सत्रों का प्रबंधन आदर्श रुप में युवा एवं सक्रिय सेवादल सदस्यों द्वारा किया जाना चाहिए।
11- सर्व धर्म भजन गाए जाने चाहिएँ,क्योंकि सभा में उपस्थित भक्त सभी धर्मों के हो सकते हैं।
12- गायकों को अपनी अपनी निर्धारित समयावधि को, सुचारु रुप से भजनों के प्रवाह में बिना किसी रुकावट के ग्रहण करना चाहिए।यदि उन्हें स्थान बदलने की आवश्यकता हो तो इस बात का ध्यान रखें कि वह किसी शोर का कारण ना बने।
13- अखंड भजन में आलाप बिल्कुल नहीं गाए जाने चाहिए, क्योंकि यह भजन सत्र के प्रवाह को बुरी तरह प्रभावित करेगा।
14- समापन पर अंतिम भजन के बाद तुरंत आरती की जानी चाहिए।

नोट : अखंड भजन सत्र ॐ तत्सत् का उच्चारण, मौन, असतो मा सद्गमय का उच्चारण, उद्घोषणाएँ नहीं करनी चाहिएँ, क्योंकि भक्तों को उच्च दिव्य भावों को अपने हृदय में लेकर अपने घरों को जाना चाहिए।

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