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Showing posts from May, 2017

Sri Rudram- 11|Namakam- 9|श्रीरुद्रम्- ११|नमकम् |अनुवाक- ९|हिंदी अर्थ सहित

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वेदमंत्र एवम् अर्थ-16   🌹श्रीरुद्रम्-11🌹     🙏नमकम्🙏       अनुवाक-9 नम इरिण्याय च प्रपथ्याय च नम: किगंशिलाय च क्षयणाय च नम: कपर्दिने च पुलस्तये च ।। ४  ।।  उपजाऊ भूमि 🌱🌾और मितव्यय मार्गों में रहने वाले के लिए नमस्कार, पथरीली भूमि और निवास, यज्ञ स्थानों में रहने वाले के लिए नमस्कार, उलझे हुए केश के लिए नमस्कार तथा शीघ्र प्राप्त हो जाने वाले के लिए नमस्कार। 🙏(४९) नमो गोष्ठ्याय च गृह्याय च नमस्तल्प्याय च गेह्याय च नम: काट्याय च गह्वरेष्ठाय च नमो हृदय्याय च निवेष्प्याय च ।   ।।५०।। गोशालाओं🐮 में रहने वाले और घरों में रहने वाले के लिए नमस्कार, झोंपड़ी🏠 और महलों 🏤में रहने वाले के लिए नमस्कार, कंटीली झाड़ी और पर्वत की कंदराओं में रहने वाले के लिए नमस्कार, जल की भंवर और ओस की बून्दों 💦💧में रहने वाले के लिए नमस्कार।🙏(५0) नम: पागं सव्याय च रजस्याय च नम: शुष्काय च हरित्याय च नमो लोप्याय चोलप्याय च नम ऊर्व्याय च सूर्म्याय च ।।५१।। परमाणु✨ और धूल में रहने वाले के लिए नमस्कार, सूखे काष्ठ आदि में विराजमान तथा हरे पत्ते 🌿आदि में विद्यमान के लिए नमस्कार, शुष्क स्थान में रह

Sri Rudram- 10| Namakam- 8| श्रीरुद्रम्- १०|नमकम् |अनुवाक- ८|हिंदी अर्थ सहित

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वेदमंत्र एवम् अर्थ-15   🍁श्रीरुद्रम्-10🍁     🙏नमकम्🙏      अनुवाक- 8   ॐ हर हर हर हर ॐ। नम: सोमाय च रुद्राय च नमस्ताम्राय चाऽरुणाय नम: शङ्गाय च पशुपतये च नम उग्राय च भीमाय च ।। ४४ ।।  ओम् हर हर हर हर ओम्। सोम के लिए नमस्कार, रुद्र के लिए नमस्कार, ताम्र वर्ण के लिए नमस्कार, अरुण वर्ण के लिए नमस्कार, सभी जीवों के संरक्षक के लिए नमस्कार, पशुपति के लिए नमस्कार, उग्र और भीम  के लिए नमस्कार। 🙏(४४) नमो अग्रेवधाय च दूरेवधाय च नमो हन्त्रे च हनीयसे च नमो वृक्षेभ्यो हरिकेशेभ्यो नमस्ताराय ।। ४५ ।। शत्रुओं का सामने से संहार करने बाले के लिए नमस्कार, दूर से मारने वाले के लिए नमस्कार, शत्रु को मारने वाले के लिए नमस्कार और शत्रु के अतिशय अन्त के लिए नमस्कार, हरे पत्ते केश वाले तरु🌳 रूप के लिए नमस्कार तथा संसार के मारने वाले परमात्मा के लिए नमस्कार। 🙏( ४५ )  नमश्शम्भवे च मयोभवे च नम: शङ्कराय च मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च नमस्तीर्थ्याय च कूल्याय च ।।४६।।  आनन्द तथा सबके ज्ञाता के लिए नमस्कार, कल्याणकारी और सुख देने वाले के लिए नमस्कार, मंगल स्वरूप तथा अत्यन्त श

Sri Rudram- 9|Namakam- 7|श्रीरुद्रम्- ९|अनुवाक- ७|हिंदी अर्थ सहित

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वेदमंत्र एवम् अर्थ-14      🌾श्रीरुद्रम्-9🌾       🙏नमकम्🙏        अनुवाक- 7 नमो दुन्दुभ्याय चाहनन्याय च नमो धृष्णवे च प्रमॅशाय च नमो दूताय च प्रहिताय च नमो निषङ्गिणे चेषुधिमते च ।।४०।। दुन्दुभि की ध्वनि में रहने वाले के लिए नमस्कार और शत्रुओं के घर्षण करने में समर्थ के लिए नमस्कार दूत और सन्देश वाहकों में रहने वाले के लिए नमस्कार तथा खड्ग और खड्ग कोष धारण करने वाले के लिए नमस्कार।🙏 (४०) नमस्तीक्ष्णेषवे चायुधिने च नम: स्वायुधाय च सुधन्वने च नमः स्रुत्याय च पथ्याय च नम: काट्याय च नीप्याय च ।।४१।। तीक्ष्ण बाण वाले के लिए तथा उत्तम शस्त्र वाले के लिए नमस्कार, शोभन आयुद्ध और श्रेष्ठ धनुष धारण करने वाले के लिए नमस्कार, संकरे मार्ग पर चलने वाले और राजमार्ग पर चलने वाले के लिए नमस्कार, संकीर्ण जल स्रोतों और विशाल जल स्रोतों में रहने वाले के लिए नमस्कार।🙏 (४१) नम: सूद्याय च सरस्याय च नमो नाद्याय च वैशन्ताय च नम: कूप्याय चावट्याय च नमो वर्ष्याय चावर्ष्याय च नमो मेध्याय च विद्युत्याय च ।। ४२ ।। दल-दल और गहरे जलाशयों में रहने वाले के लिए नमस्कार, नदियों और झीलों में रहने वालों

Saptashloki Durga | सप्तश्लोकी दुर्गा

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ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवि भगवती हि सा । बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥1॥ भावार्थ : वे भगवती महामाया देवी ज्ञानियों के भी चित्त को बलपूर्वक खींचकर मोह में डाल देती हैं । दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः  स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि । दारिद्रयदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्र चित्ता ॥2॥  भावार्थ : माँ दुर्गे ! आप स्मरण करने पर सब प्राणियों का भय हर लेती हैं और स्वस्थ पुरुषों द्धारा चिन्तन करने पर उन्हें परम कल्याणमयी बुद्धि प्रदान करती हैं । दुःख, दरिद्रता और भय हरनेवाली देवी ! आपके सिवा दूसरी कौन है, जिसका चित्त सबका उपकार करने के लिए सदा ही दयार्द्र रहता हो । सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।  शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥3॥ भावार्थ : नारायणी ! आप सब प्रकार का मंगल प्रदान करनेवाली मंगलमयी हैं, आप ही कल्याणदायिनी शिवा हैं । आप सब पुरुषार्थ्रो को सिद्ध करने वाली, शरणागतवत्सला, तीन नेत्रों वाली गौरी हैं । आपको नमस्कार है । शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे ।  सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽ

Sri Rudram- 8|Namakam- 6 |श्रीरुद्रम्- ८| नमकम् |अनुवाक- ६|हिंदी अर्थ सहित

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  वेदमंत्र एवं अर्थ-13     🙌श्रीरुद्रम्-8🙌      🙏नमकम्🙏        अनुवाक-6  नमो ज्येष्ठाय च कनिष्ठाय च नम: पूर्वजाय चापरजाय  च नमो मध्यमाय चापगल्भाय च च नमो जघन्याय च बुध्नियाय च नम: सोभ्याय च प्रतिसर्याय च ।।३७।।  ज्येष्ठ तथा कनिष्ठ के लिए नमस्कार है, पूर्व तथा वर्तमान के लिए नमस्कार है, मध्यम और अविकसित के लिए नमस्कार, जघन्य श्वेतज और वृक्षादि के मूल में होने वाले निमित्त को नमस्कार।🙏 (३७)  नमो याम्याय च क्षेम्याय च नम उर्वर्याय च खल्याय च नम: श्लोक्याय चाऽवसान्याय च नम वन्याय च कक्ष्याय च नम: श्रवाय च प्रतिश्रवाय च।।३८।।  मृत्यु और मुक्ति में उपस्थित के लिए नमस्कार,हरे खेतों और खलिहानों मे उपस्थित के लिए नमस्कार, मन्त्रों, वेदों और उपनिषदों में उपस्थित के लिए नमस्कार, वनों और लताओं में मौजूद के लिए नमस्कार तथा ध्वनि और प्रतिध्वनि में रहने वाले को नमस्कार ।🙏(३८)  नम आशुषेणाय चाशुरथाय च नम: शूराय चावभिन्दते च नमो वर्मिणे च वरूथिने च नमो बिल्मिने च कवचिने च नम: श्रुताय च श्रुतसेनाय च । ।।३९।।  सेना और रथ में चलने वाले के लिए नमस्कार, असुरों का न

Sri Rudram- 7 | Namakam- 5 | श्रीरुद्रम्- ७| नमकम् |अनुवाक- ५| हिंदी अर्थ सहित

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Rudrabhishekam at Sai-Centre, Shahabad Markanda  वेदमंत्र एवम् अर्थ-12          🌻श्रीरुद्रम्-7🌻    🙏नमकम्🙏     अनुवाक - 5 नमो भवाय च रुद्राय च ।। ३ ३ ।।  उत्पन्न करने वाले और संहार करने वाले आपको नमस्कार।🙏 (३३) नमः शर्वाय च पशुपतये च नमो नीलग्रीवाय च शितिकण्ठाय च नम: कपर्दिने च व्युप्तकेशाय च नमः सहस्राक्षाय च शतधन्वने च ।।३४।। सभी प्राणियों के रक्षक को नमस्कार है, उनके संहरता को नमस्कार है, नीलकण्ठ को नमस्कार है तथा धौत्कण्ठ(श्वेत) वाले को नमस्कार है। जटाओं से युक्त को नमस्कार है क्या बिना केश वाले को नमस्कार है, सहस्र आँखों वाले को नमस्कार है तथा हजार धनुष धारण करने वाले को नमस्कार है। 🙏 (३४) नमो गिरिशाय च शिपिविष्टाय च नमो मीढुष्टमाय चेषुमते च नमो ह्रस्वाय च वामनाय च नमो बृहते च वर्षीयसे च नमो वृद्धाय च संवृध्वने च।। ३ ५ ।। पर्वत पर रहने वाले को जो सभी प्राणियों में वास करता है, को नमस्कार है, सुख रूप तृप्ति कर्त्ता के लिए नमस्कार है और बाणधारी के लिए नमस्कार है, अल्प शरीर के लिए नमस्कार है और संकुचित अंग वाले के लिए नमस्कार है, प्रौढ़ के लिए तथा अतिवृद्ध के ल

Sri Rudram- 6 | Namakam |श्रीरुद्रम्- ६|नमकम् |अनुवाक- ४|हिंदी अर्थ सहित

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वेदमंत्र एवम् अर्थ-11    🍀श्रीरुद्रम्-6🍀       🙏नमकम्🙏        अनुवाक - 4 नम आव्याधिनीभ्यो विविध्यन्तीभ्यश्च वो नमो नम उगणाभ्यस्तृगंहतीभ्यश्च वो नमो नमो गृत्सेभ्यो गृत्सपतिभ्यश्च वो नमो नमो व्रातेभ्यो व्रातपतिभ्यश्च वो नमो ।। २९ ।। सेनाओं में स्थित के लिए नमस्कार है और विशेषकर शत्रु को घेरने वाली सेना में स्थित रुद्र के लिए नमस्कार है। उत्कृष्ट युद्ध समूह वाली सेना के लिए नमस्कार है और युद्ध में प्रहार करने वाले दुर्ग आदि में स्थित सेना के लिए नमस्कार है। विशेषगण और अनेक जातियों के पति के लिए नमस्कार और भ्रातगणों के अधिपति के लिए नमस्कार। बुद्धिमानों के लिए नमस्कार और बुद्धिमानों के रक्षक🙌 के लिए नमस्कार।🙏 (२९) नमो गणेभ्यो गणपतिभ्यश्च वो नमो नमो विरूपेभ्यो विश्वरूपेभ्यश्च वो नमो नमो महद्भ्य:, क्षुल्लकेभ्यश्च वो नमो नमो रथिभ्योऽरथेभ्यश्च वो नमो नमो रथेभ्यो रथपतिभ्यश्च वो नमो ।। ३० ।। भूतगणों के लिए नमस्कार और गणों के अधिपति के लिए नमस्कार। विविध रूप और नाना रूप वालों के लिए नमस्कार, रथ के अधिष्ठात्री के अन्तर में स्थित के लिए नमस्कार और रण सामग्री ग्रहणकर्त्ता के लिए न

Sri Rudram- 5 | Namakam | श्रीरुद्रम्- ५ | नमकम् | अनुवाक- ३ | हिंदी अर्थ सहित

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वेदमंत्र एवम् अर्थ-10         🌹श्रीरुद्रम्-5🌹        🙏नमकम्🙏    🌿अनुवाक - 3🌿  नम: सहमानाय निव्याधिन आव्याधिनीनां पतये नमो नम: ककुभाय निषङ्गिणे स्तेनानां पतये नमो ।।२३।। शत्रुओं को पराजित करने वाले और बेरियों को अधिक मारने वाले रूद्र को नमस्कार हैं। सब प्रकार से प्रहार करने वाली सूर सेनाओं के पालक रूद्र के लिए नमस्कार है। उपद्रवकारियों पर खड्ग चलाने वाले महान रूद्र के लिए नमस्कार है। 🙏(२३) नमो निषङ्गिण इषुधिमते तस्कराणां पतये नमो नमो वञ्चते परिवञ्चते स्तायूनां पतये नमो नमो निचेरवे परिचरायारण्यानां पतये नमो।। २४ ।। खड्गधारी और बाणधारी को शान्त करने वाले के लिए नमस्कार है। चोरों के मुखिया के लिए नमस्कार है। खगों के स्वामी को विश्वास दिलाकर व्यवहार में उनको ठगाने वालों के साक्षी रूद्र के लिए नमस्कार है।🙏  (२४) नम: सृकाविभ्यो जिघागंसद्धयो मुष्णतां पतये नमो नमोऽसिमद्भयो नक्तं चरंद्भयः प्रकृन्तानां पतये नमो नम उष्णीषिणे गिरिचराय कुलुञ्चानां पतये नमो । । २५ । । वन में भटकने वाले सदा गुप्त रहने वालों के प्रमुख को नमस्कार।खगों के मुखिया को जो अपनी रक्षा में सदा चैतन्य औ

Sri Rudram- 4 | Namakam | श्रीरुद्रम् -४ | नमकम् | अनुवाक- २ | हिंदी अर्थ सहित

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 वेदमंत्र एवम् अर्थ-9      🌷श्रीरुद्रम्-4🌷        🙏नमकम्🙏         अनुवाक - 2 नमो हिरण्यबाहवे सेनान्ये दिशां च पतये नमो नमो वृक्षेभ्यो हरिकेशेभ्य: पशूनां पतये नमो नम: सस्पिञ्जराय त्विषीमते पथीनां पतये नमो ।।18।। भुजाओं में स्वर्ण के अलंकार धारण करने वाले महाबली सेनापति रुद्र को नमस्कार है। दिशाओं के अधिपति अर्थात् समस्त जगत् की अपनी भुजाओं से रक्षा करने वाले सेनापति के लिए नमस्कार है। पर्ण रूप हरे बालों वाले यक्ष रूप रूद्र को नमस्कार हैं। पशुओं के पालन करने वाले रूद्र के लिए नमस्कार है। कान्तिवान बाल तृणवत वर्ण वाले रुद्र के लिए नमस्कार है। मार्गों के पति रुद्र के लिए नमस्कार।(१८) नमो बभ्लुशाय विव्याधिनेऽन्नानां पतये नमो नमो हरिकेशायोपवीतिने पुष्टानां पतये नमो नमो भवस्य हेत्यै जगतां पतये नमो ।।19 ।। कपिल वर्ण और शत्रुओं को भेदने वाले व्याधि रूप रुद्र को नमस्कार है। अन्नों के पालक रुद्र के लिए नमस्कार। उपवीत(जनेऊ) धारण करने वाले नीले वर्ण केश रुद्र के लिए नमस्कार है। पुष्ट मनुष्यों के स्वामी रुद्र के लिए नमस्कार है। संसार के स्वामी के लिए नमस्कार है। (19) नमो रुद्राया

Sri Rudram- 3 | Namakam | श्रीरुद्रम् -३| नमकम् | हिंदी अर्थ सहित

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वेदमंत्र एवम् अर्थ-8      🌺श्री रुद्रम्-3🌺 🙏 नमकम् अनुवाक-1🙏  प्रमुञ्च धन्वनस्त्वमुभयोरार्त्नि योर्ज्याम्।याश्च ते हस्त इषवः परा ता भगवो वप।।11।। हे ऐश्वर्य सम्पन्न रुद्र अपने धनुष की दोनों कोटियों में स्थित ज्या(डोरी) को तुम दूर कर लो और जो तुम्हारे हाथ में बाण है उनको दूर करलो।(११) अवतत्य धनुस्त्वगुंसहस्राक्ष शतेषुधे । निशीर्य-शल्यानां मुखा शिवो न: सुमना भव। ।।१२।। हे हजारों नेत्रों वाले, हे सहस्रों तरकशों वाले रुद्र तुम धनुष को ज्या रहित करके और बाणों के फालों को निकाल करके हमारे लिए कल्याणकारी व शोभनचित वाले हो जाओ।(१२) विज्यं धनु: कपर्दिनो विशल्यो बाणवागं उत  अनेशन्नस्येशव आभुरस्यनिषंगथि: ।। 1 ३ ।। जटाधारी वीर रुद्र का धनुष, ज्या और तरकश बाणों से शून्य हो। इस देवता के जो बाण हैं वे हमें न दिखें। इनके खड्ग रखने का कोष खाली हो।(१३) या ते हेतिर्मीढुष्टम हस्ते बभूव ते धनु: । तयाऽस्मान् विश्वतस्त्वमयक्ष्मया परिब्भुज ।।१४ ।। हे सुख का सिंचन करने वाले रुद्र तुम्हारे हाथ में जो हथियार हैं, तुम्हारे हाथ में जो धनुष है, इस उपद्रव रहित शस्त्र से तुम सब ओर से हमारा पाल