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Showing posts from January, 2018

Divine Experiences of my Parents with Bhagwan Sri Sathya Sai Baba

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Inauguration of Sri Sathya Sai Seva Samithi Shahabad Markanda Kurukshetra in 1971 Vaidya Shukdev Nagar, Kaviraj, Ayurvedacharya,  my Father, Founder member and first President of Sri Sathya Sai Seva Samithi Shahabad Markanda  Sai Ram. I am narrating here experiences of my mother related to Bhagwan Sri Sathya Sai Baba. My father (Late) Sh. Shukdev Nagar was a Vaidya(Ayurvedic Physician) graduated in Ayurveda from Lahore in 1937. Besides Ayurvedic Doctor he was an astrologer & a Spiritual seeker & also a freedom fighter. He had undergone many Sadhanas & achieved many siddhis(Spiritual powers). He was married to my first mother (Late) Mrs. Kamlesh Nagar in around year 1940. She was also a Spiritual seeker and associated with Sri Aurobindo Aashram, Pondicherry. They were leading a blissful Life, but were devoid of a child. After many years of marriage, the situation was same. Then in around 1960 he had his second marriage with my mother (Late) Mrs. Rama Sha...

श्री सत्य साई भजन मार्गदर्शिका || प्रश्नोत्तर

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भजन गायन पर भगवान का परामर्श 1.स्वामी, भावना के साथ भजन कैसे गाएं ? "कुछ लोग भजन में उपस्थित होकर अपने होंठ बिल्कुल नहीं हिलाते। वे कह सकते हैं कि वह भजनों को अपने अंदर मानसिक रूप में गा रहे हैं। यह सही नहीं है। यदि तुम्हारे अंदर भक्ति भावना है तो यह भजन में आवाज के माध्यम से व्यक्त होनी चाहिए। केवल तभी इसे संकीर्तन कहा जा सकता है - दूसरों के साथ एकरूपता में गाना। तुम्हें भगवान के नाम को जोर से, ऊंचे स्वर में जहां तक आवाज जा सके अवश्य गाना चाहिए। केवल तभी भगवान पूर्ण रूप में उत्तर देंगे और अपनी कृपा की वर्षा करेंगे। एक डूबते हुए आदमी को बचाने कोई नहीं आएगा यदि उस की चिल्लाहट मंद (धीमी) हो। जब वह जोर से ऊंची आवाज में चिल्लाएगा केवल तभी उसकी आवाज सुनी जाएगी और लोग उसकी रक्षा के लिए दौड़ेंगे। संकीर्तन का अर्थ है, भक्ति और उत्साह के साथ गाना।" पूर्णचंद्र सभागार, 3 मार्च, 1992 2 . स्वामी, नामस्मरण कैसे महत्वपूर्ण है ? "हमने नाम संकीर्तन को साई गतिविधियों के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक के रूप में स्वीकार किया है। तुम्हारी रसनाओं पर भगवन्नाम को सदैव नर्तन करना च...

श्री सत्य साई भजन मार्गदर्शिका - 5|| Guidelines for Sai Bhajan- 5

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    5. आगे बढ़ना भगवान बाबा ने अपने अवतारिक संदेश में हमारे युग में नामस्मरण को साधना के रूप में अपनाने की आवश्यकता, प्रभाव और विधियों पर बल दिया है। अब उनके प्रभावी उपकरण होते हुए हमारी न केवल भूमिका है वरन् न केवल नाम स्मरण के माध्यम के अनुपालन का, अपितु साईभजन को अपने समाज में फैलाने का उत्तरदायित्व भी है। भगवान ने सदैव इनके आपसी संबंध और पारस्परिक निर्भरता पर जोर दिया है : व्यष्टि--> समष्टि--> सृष्टि--> परमेष्टि नाम संकीर्तन पर दिशा निर्देशों के उपरोक्त सभी बिंदु देशभर के साई केंद्रों में अनुपालन की सर्वस्वीकृत विधि निर्धारित करने के लिए हैं। साई भजन गाने और दोहराने में सरल है हमारे भजन संप्रदाय निरपेक्ष हैं एवं विश्व के सभी धर्मों को शामिल करते हैं। नाम संकीर्तन से जो लाभ हम अनुभव करते हैं उन्हें समाज के साथ साझा करना चाहिए। हमें समाज के कल्याण को ध्यान में रखते हुए साई भजन को एक नए आयाम से देखने की आवश्यकता है। ऐसे समय पर जब प्रकृति के सभी तत्व प्रदूषित हैं, जब मनुष्य की सोच नकारात्मक प्रवृतियों से प्रदूषित हो गई है, जब हमारी इन्द्रिय...

श्री सत्य साई भजन मार्गदर्शिका- 4|| Guidelines for Sai Bhajan- 4

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        4. भजन प्रशिक्षण भगवान ने सदा ही भजन गाने से पूर्व अभ्यास पर जोर दिया है। निरंतर अभ्यास से न केवल गायक में आत्मविश्वास बढ़ता है बल्कि यह गायक को भक्ति के ऊंचे स्तर तक ले जाता है, जहां पर भजन गाते समय छुपा हुआ भाव प्रकट होता है। इस गुणवत्ता के स्तर तक पहुंचने के लिए नियमितता और निरंतरता के आधार पर भजन प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने चाहिए। भजन प्रशिक्षण सत्र निम्न क्षेत्रों पर ध्यान देंगे : 🔹परिचित भजनों को सही श्रुति, तर्ज, उतार चढ़ाव, ताल आदि के साथ गाना। 🔹नए भजनों का परिचय 🔹स्वर संस्कार की जानकारी देना। 🔹संगीत की आधारभूत बातों का ज्ञान कराना। साई भजन में प्रचलित रागों का परिचय। 🔹आवाज एवं कुशलता के अनुसार भजन का चयन करना। यह पहचान करना कि भजन एकल गाया जाए या युग्म में गाया जाए। 🔹प्रत्येक भजन के अर्थ पर विचार विमर्श। 🔹भजन के बोलों से जुड़ी घटनाओं पर चिंतन, ताकि गायक इस बारे में जागरूक हो कि वह क्या गा रहा है। 🔹मधुर एवं धीमी गति के भजनों का उतार चढ़ाव के साथ गाने का अभ्यास 🔹जैसा "भजन गायक की भूमिका और उत्तरदायित्व" विभाग में ...

श्री सत्य साई भजन मार्गदर्शिका- 3|| Guidelines for Sai Bhajan- 3

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    3. एक गायक की भूमिका और उत्तरदायित्व (ROLES AND RESPONSIBILITIES OF A SINGER) _"भजन, गायन की वह प्रक्रिया है जो हृदय से निकलती है, न कि होठों से या जुबान से। भगवान की महिमा के स्मरण से हृदय से निकलती है।"_ _बाबा  (श्री सत्य साई वचनामृत १०) नाम संकीर्तन एक माध्यम है जिसे वर्तमान समय में शांति और प्रेम के पोषण के लिए हमारी स्वामी भगवान श्री सत्य साई बाबा ने निर्धारित किया है। भगवान बाबा ने गायकों के पालन एवं अभ्यास के लिए अनेकों प्रवचन और वार्तालाप की माध्यम से हमें पर्याप्त मार्गदर्शन और निर्देश दिए हैं। भजन गायक नाम स्मरण को फैलाने का एक यंत्र है, जिसे भगवान ने प्रारंभ किया था, जब उन्होंने संसार को अपने अवतार होने की घोशणा की थी। भगवान के अवतारिक मिशन में एक गायक की भूमिका सर्वश्रेष्ठ और अति आवश्यक है। साई भजन गाना अवतार के द्वारा हमें दिया गया एक जीवन पर्यंत सुअवसर(Life time opportunity) है। यह एक सेवा का शुभ अवसर है जो भक्तों की चिंता और तनाव को कम करके इस कलियुग में मन की शांति प्रदान करता है। यह गायक का उत्तरदायित्व है कि वह अपने गायन की गुणवत्ता क...

श्री सत्य साई भजन मार्गदर्शिका - 2.9 || Guidelines for Sai Bhajan- 2.9

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      2.9. अखण्ड भजन के लिए दिशा निर्देश संपूर्ण भारतवर्ष के साई समितियां सामान्यतया 1 वर्ष में दो बार अखंड भजन का आयोजन करती है, वह है शिवरात्रि की रात में और वैश्विक अखंड भजन के अवसर पर भगवान के जन्मदिवस के पहले, नवंबर के द्वितीय सप्ताहांत पर । यह भावपूर्ण भजनों को गाने का एक श्रेष्ठ अवसर है, क्योंकि अखंड भजन या तो 12 घंटे या 24 घंटे के लिए आयोजित किए जाते हैं, तो यह संभाव्य है कि इस नाम संकीर्तन की साधना में अधिक भक्त भाग लेते हैं। इसके लिए विशेष व्यवस्थाओं की और भागीदारों के बीच अनुशासन की आवश्यकता है, और भजन गायन में उच्च स्तर बनाए रखना भी आवश्यक है। 1. अखंड भजन का स्थान पर्याप्त रूप में विस्तृत होना चाहिए जिससे उसमें आने जाने वाले और बैठने वाले भक्तों की भीड़ समा सके। 2  इस विशेष कार्यक्रम के लिए पर्याप्त सूचना,उद्घोषणाएं/ प्रचार किया जा सकता है और यदि आवश्यकता है तो सभी नजदीकी शिक्षण संस्थाओं कार्यालयों और आवासों को निमंत्रण दिए जा सकते हैं, जिससे जनता के प्रतिनिधि नाम संकीर्तन के आनंद में साझीदार हो सकते हैं। 2. आध्यात्मिक/ भजन समन्वयक द्वार...

श्री सत्य साई भजन मार्गदर्शिका- 2 || Guidelines for Sai Bhajan- 2

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          भजन की विधि एवं निर्देश (Bhajan Procedure and Guidelines) 2.1.भजन केंद्र पर तैयारी 🔹भजन प्रारंभ होने से कम से कम 30 मिनट पहले भजन हाल और मंदिर तैयार होने चाहिए। 🔹भजन हाल के बीच में महिला एवं पुरुषों के अलग-अलग बैठने के लिए "पाथ" तैयार करना चाहिए। 🔹भगवान श्री सत्य साई बाबा का चित्र आकर्षक ढंग से कुछ ऊंचे स्थान पर रखना चाहिए, जिससे सभी भक्त इसे आसानी से देख सकें। 🔹भगवान के चित्र पर एक सुंदर हार चढ़ाएं - आडंबर से बचें। *आध्यात्मिक महत्व-* _जब हम भगवान के चित्र पर माला पहनाते हैं तब हमें इसके पीछे छिपे हुए अर्थ को समझना चाहिए, जो कि माला के धागे के रूप में भगवान के पितृत्व और माला में गुंथे हुए अलग-अलग फूलों के रूप में मनुष्य के भ्रातृत्व के महत्व को दर्शाता है।_ 🔹भगवान के चित्र के दोनों और दीपक तैयार रखें जिनमे पर्याप्त मात्रा में तेल हो, जिससे कि संपूर्ण भजन सत्र में दीपक प्रज्ज्वलित रह सकें। *आध्यात्मिक महत्व-* _तेल हमारी वासनाओं या नकारात्मक प्रवृतियों का प्रतीक है; बाती अहंकार का प्रतीक है, जिसे जल जाना चाहिए और ज्योति ज्ञान या ...

श्री सत्य साई भजन मार्गदर्शिका- 1|| Guidelines for Sai Bhajan- 1

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            1. परिचय "मानस भजरे गुरु चरणम्।दुस्तर भवसागर तरणम्।।  गुरु महाराज गुरु जय जय।साईनाथ सद्गुरु जय जय।।" 20 अक्टूबर 1940 को जब भगवान ने विश्व के सामने अपने अवतारिक मिशन की घोषणा की, उन्होंने यह प्रथम भजन भी गाया। यहाँ भगवान बाबा में वास्तव में नाम संकीर्तन के आंदोलन का शुभारंभ किया और हम सबको संसार के सागर को पार करने के सर्वोत्तम साधन नामस्मरण की आवश्यकता के महत्व का संदेश दिया। उन्होंने गांव के मित्रों को एकत्रित करके पहला भजन समूह बनाया, जिसका नाम रखा _"पंढरी भजन मंडली"_ और पुट्टपर्ती गांव की गलियों में भगवान की महिमा का गायन करने लगे। इस प्रकार नामस्मरण के बीज को भगवान ने बोया, जिन्हें हम बाद में साई भजनों के नाम से जानते हैं। दिव्यता की निकटता का अनुभव करने का अनपढ़ और ज्ञानी, अमीर और गरीब सभी के लिए सरलतम मार्ग भगवान के नाम का निरंतर स्मरण, यानि नाम स्मरण है। महर्षि वेदव्यास ने यह घोषणा की थी कि कलयुग में भगवान के नाम स्मरण से श्रेष्ठ और कुछ नहीं है। साई भजन वास्तव में "संप्रदाय निरपेक्ष" है, क्योंकि मानवीय जानकारी के अनुसा...

लोहड़ी एवं मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ || शनिवार, 13.01.2018

     🌹  लोहड़ी = लो हरी 🌹 लोहड़ी के पावन अवसर पर आओ मिलकर करें यह काम । इधर उधर की बात छोड़ कर सब मिलकर लो हरि का नाम ।। लोहड़ी के दिन 'लो हरी' हमारी सब इच्छाओं को लोहड़ी के दिन 'लो हरी' हमारी सब चिन्ताओं को लोहड़ी के दिन 'लो हरी' हमारी विषमताओं को लोहड़ी के दिन 'लो हरी' हमारी चंचलताओं को लोहड़ी के दिन 'लो हरी' हमारी कलुषताओं को लोहड़ी के दिन 'लो हरी' हमारी शत्रुताओं को । लोहड़ी को "लो हरी" का नाम हरी नाम का पी लो जाम।। हरि सत्य है हरि नित्य है हरि है सकल जगत का सार हरि का सुमिरन ही 'वेणु' उतारेगा भव सागर पार ।। लोहड़ी एवं मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐💐🙏 शुभेच्छु: डॉ. सत्यकाम एवं परिवार