Chadariya Jheeni re Jheeni | चदरिया झीनी रे झीनी
https://youtu.be/GNkDKo1PWBE
Chadariya Jheeni re Jheeni | Bhajan by Saint Kabirdass in Raag Desh with glimpses of other Raagas I.e. Raag Yaman, Malkauns, Darbari Kanhada, Kafi & Bhairavi & with Prasanthi Bhajan in each Raag sung in Sai- Swaranjali on 11th April, 2016 in Tagore Theatre, Chandigarh.
Voice: Dr. Satyakam
Synthesizer: Vishal Sharma
Flute: Vibhu Arya
Tabla: Vaibhav Sharma & Prashant Singla
Dholak: Rajender (Babboo ji)
Chorus: Ravinder Singla, Rajender Singla, Prabhat Gupta, Sachin Singla, Ankush Garg, Rajeev Garg, Vaibhav Singla, Sai Nirmal, Vardan Sharma & Rachit Gupta.
कबीरा जब हम पैदा हुए,
जग हँसे, हम रोये।
ऐसी करनी कर चलो,
हम हँसे, जग रोये॥
चदरिया झीनी रे झीनी
राम नाम रस भीनी
चदरिया झीनी रे झीनी
चदरिया झीनी रे झीनी
अष्ट-कमल का चरखा बनाया,
पांच तत्व की पूनी।
नौ-दस मास बुनन को लागे,
मूरख मैली किन्ही॥
चदरिया झीनी रे झीनी
जब मोरी चादर बन घर आई,
रंगरेज को दीन्हि।
ऐसा रंग रंगा रंगरे ने,
के लालो लाल कर दीन्हि॥
चदरिया झीनी रे झीनी
चादर ओढ़ शंका मत करियो,
ये दो दिन तुमको दीन्हि।
मूरख लोग भेद नहीं जाने,
दिन-दिन मैली कीन्हि॥
चदरिया झीनी रे झीनी के
ध्रुव-प्रह्लाद सुदामा ने ओढ़ी,
शुकदेव ने निर्मल कीन्हि।
दास कबीर ने ऐसी ओढ़ी,
ज्यूँ की त्यूं धर दीन्हि॥
चदरिया झीनी रे झीनी
चदरिया झीनी रे झीनी
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Chadariya Jheeni re Jheeni | Bhajan by Saint Kabirdass in Raag Desh with glimpses of other Raagas I.e. Raag Yaman, Malkauns, Darbari Kanhada, Kafi & Bhairavi & with Prasanthi Bhajan in each Raag sung in Sai- Swaranjali on 11th April, 2016 in Tagore Theatre, Chandigarh.
Voice: Dr. Satyakam
Synthesizer: Vishal Sharma
Flute: Vibhu Arya
Tabla: Vaibhav Sharma & Prashant Singla
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कबीरा जब हम पैदा हुए,
जग हँसे, हम रोये।
ऐसी करनी कर चलो,
हम हँसे, जग रोये॥
चदरिया झीनी रे झीनी
राम नाम रस भीनी
चदरिया झीनी रे झीनी
चदरिया झीनी रे झीनी
अष्ट-कमल का चरखा बनाया,
पांच तत्व की पूनी।
नौ-दस मास बुनन को लागे,
मूरख मैली किन्ही॥
चदरिया झीनी रे झीनी
जब मोरी चादर बन घर आई,
रंगरेज को दीन्हि।
ऐसा रंग रंगा रंगरे ने,
के लालो लाल कर दीन्हि॥
चदरिया झीनी रे झीनी
चादर ओढ़ शंका मत करियो,
ये दो दिन तुमको दीन्हि।
मूरख लोग भेद नहीं जाने,
दिन-दिन मैली कीन्हि॥
चदरिया झीनी रे झीनी के
ध्रुव-प्रह्लाद सुदामा ने ओढ़ी,
शुकदेव ने निर्मल कीन्हि।
दास कबीर ने ऐसी ओढ़ी,
ज्यूँ की त्यूं धर दीन्हि॥
चदरिया झीनी रे झीनी
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