Sri Rudram -14| Namakam- 11|with meaning in Hindi | श्रीरुद्रम्- १४| नमकम् |अनुवाक- ११| हिंदी अर्थ
वेदमंत्र एवम् अर्थ-19 🙏श्रीरुद्रम्-14🙏 अनुवाक-11 सहस्राणि सहस्रशो ये रुद्रा अधि भूम्याम्। तेषागं सहस्रयोजनेऽवधन्वानि तन्मसि। अस्मिन्महत्यर्णवेऽन्तरिक्षे भवा अधि। नीलग्रीवा: शितिकण्ठा: शर्वा अधः,क्षमाचरा: । नीलग्रीवा: शितिकण्ठा दिवगं रुद्रा उपश्रिता: । ये वृक्षेषु सस्पिञ्जरा नीलग्रीवा विलोहिता: । ये भूतानामधिपतयो विशिखास: कपर्दिन: । ये अन्नेषु विविध्यन्ति पात्रेषु पिबतो जनान्। ये पथां पंथिरक्षय ऐलबृदा यव्युध: । ये तीर्थानि प्रचरन्ति सृकावन्तो निषङ्गिण: ।। ६६ ।। जो असंख्य हजारों प्राणियों को रुलाने😪 वाले रुद्र भूमि के उपर स्थित हैं, उनके धनुषों को हम हजारों योजन तक दूर करें। इस अन्तरिक्ष और बड़े सागर में आश्रय ग्रहण करते जो रुद्र स्थित हैं, नीली गर्दन और श्वेतकण्ठ वाले जो सर्व नामक रुद्र नीचे पृथ्वी पर विचरण करते हैं, जो हरित वर्ण नील ग्रीवा वाले तेजोमय शरीर युक्त वृक्षों🌳 में वर्तमान हैं, जो रुद्र प्राणियों के अधिपति हैं तथा शिखाहीन अर्थात् केशरहित रुद्र एवं जो जटाओं से युक्त हैं जो लौकिक तथा वैदिक पथों के रक्षक और अन्न से प्राणियों क...